कुत्तों का शोकगीत

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चले गए मालिक हमारे अलविदा ! 
टाटा मालिक ! 
दुखी हैं हम सब कुत्ते दुनियां के कुत्ते 
फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन के कुत्ते
मसलन 2005 में पैदा हुए सलवा जुडूम के पिल्ले
कुत्ते जो टूट पड़े थे 
गरीब आदिवासियों पर अपने गिरोह के मुखिया कुत्ते के आदेश पर जिन्होंने फाड़ डाले थे नग्न आदिवासी महिलाओं के स्तन और
मूत दिया था
संविधान के पन्नों पर !
जैसे 18 जुलाई 2012 के बाद
मारुति सुजुकी के
जापानी मालिक के कुत्तों ने किया। 
नोंच डाले थे
आदिवासी बच्चों के कोमल शरीर
ताकि मालिक खोद सके धरती का सीना और आदिवासी गांव
सूअरों से भी तेज थूथन से
और निकाल ले सोना, चांदी, हीरे, मोती
मालिक बड़े दयालु हैं खुश होने पर 
पार्टियों के मुख्य कुत्तों के गले में डालते हैं सुन्दर सोने के पट्टे
दुनिया के मालिक जानते हैं 
कुत्तों की कीमत इसीलिए खोलते हैं दिल्ली मुंबई में फाइव स्टार कुत्ता अस्पताल ! 
मालिक सचमुच पशु प्रेमी होते हैं
चाहे भारतीय कुत्ते हों 
(या जैसा साथी लेनिन कहते थे) 
ड्यूमा (संसद) के रूसी सूअर ! 
            -उमेश चन्दोला
 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता