कृत्रिम बुद्धिमत्ता और वास्तविक दुनिया

गौर से देखा जाये तो मानव ज्ञान के तीन अहम स्रोत रहे हैं। जिन्हें- ‘‘उत्पादन, वर्ग संघर्ष और वैज्ञानिक प्रयोग’’- जैसे तीन क्षेत्रों में बांटा जाता रहा है। वास्तविक दुनिया में उत्पादन (यानी कृषि, उद्योग से लेकर वैज्ञानिक उपकरण) का विशाल क्षेत्र और मानव जाति के भरण-पोषण, रहन-सहन आदि को किन्हीं कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस रोबोटिक उपकरणों से प्रतिस्थापित करना शेखचिल्लीपना है। और फिर कोई तो होगा जो इन मशीनों का निर्माण व उपयोग करेगा। और जहां तक वर्ग संघर्ष के क्षेत्र की बात है वहां असल झगड़ा मनुष्यों के बीच है। एक ओर पूंजीपति है तो दूसरी ओर मजदूर, किसान और अन्य मेहनतकश हैं। साम्राज्यवादी देशों के आपसी झगड़े हैं तो ये देश तीसरी दुनिया के देशों का शोषण-दोहन करते हैं। यानी मनुष्यों की अति विशाल बहुसंख्या शोषित-उत्पीड़ि़त है। और रही बात विज्ञान और वैज्ञानिक प्रयोगों की तो ये आज एकाधिकारी पूंजी के सेवक बने हुए हैं।