राजनीति से बेरुखी ठीक नहीं

राजनीति के प्रति घृणा मजदूरों-मेहनतकशों में आम है। हर चुनाव में करीब-करीब एक तिहाई से एक चौथाई आबादी ऐसी है जो कभी वोट डालने ही नहीं जाती है। और कभी-कभी तो यह संख्या आधी तक हो जाती है। वोट न डालने वालों और चुने गये लोगों के खिलाफ वोट डालने वालों की संख्या को आपस में जोड़ दिया जाये तो यह बात सामने आयेगी कि चुनाव जीता हुआ व्यक्ति आबादी की बहुसंख्या का नहीं बल्कि एक बेहद छोटी अल्पसंख्या का प्रतिनिधि है। और यही बात मौजूदा सरकार पर भी लागू होती है।