त्रिपक्षीय समझौते को लागू करवाने के लिए बेलसोनिका यूनियन का विरोध प्रदर्शन

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गुड़गांव/ दिनांक 10 जनवरी 2025 को बेलसोनिका यूनियन ने श्रम विभाग की मध्यस्थता में हुए 12(3) के त्रिपक्षीय समझौते (दिनांक 01 जून 2023) को लागू करवाने के लिए व हाई कोर्ट के आदेश की पालना करवाने के लिए डी.सी. कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। इस विरोध प्रदर्शन में बर्खास्त किए गए 42 मजदूरों के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी शामिल हुए। मजदूर राजीव चौक पर इकट्ठा होकर जुलूस निकाल कर उपायुक्त गुड़गांव कार्यालय पहुंचे तथा श्रम विभाग, शासन-प्रशासन के गठजोड़ के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी सभा की। सभा को सम्बोधित करते हुए यूनियन ने हाई कोर्ट के आए आदेश दिनांक 20 दिसम्बर 2024 के बारे में अवगत कराया। यूनियन ने ज्ञापन लेने आए अधिकारी को बताया कि दिनांक 01 जून 2023 को श्रम विभाग व गुड़गांव प्रशासन की मध्यस्थता में एक समझौता सम्पन्न हुआ था जिसमें प्रबंधन द्वारा बर्खास्त किए गए 17 मजदूरों को काम पर वापिस लेने की बात लिखी गई है। यूनियन ने बताया कि अब हाई कोर्ट ने भी अपने आदेश में 01 जून 2023 के त्रिपक्षीय समझौते को लागू करने की बात कही है। 
    
ज्ञात हो कि दिनांक 30 मई 2023 से 01 जून 2023 तक बेलसोनिका यूनियन ने तीन दिन की बैठकी हड़ताल की थी। उस हड़ताल के दौरान गुड़गांव प्रशासन व श्रम विभाग की मध्यस्थता में यूनियन व प्रबंधन के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता सम्पन्न हुआ था। उस समय बेलसोनिका प्रबंधन ने 17 श्रमिकों को बर्खास्त तथा 13 श्रमिकों को निलम्बित कर दिया था। समझौते के अनुसार प्रबंधन ने निलम्बित किए गए 10 श्रमिकों को तत्काल काम पर वापिस लेने तथा बर्खास्त किए गए 17 श्रमिकों को एक माह में नौकरी पर वापिस लेने की बात लिखी थी। प्रबंधन ने 10 निलम्बित श्रमिकों को तो काम पर वापिस ले लिया था लेकिन प्रबंधन ने आज तक भी इस समझौते अनुसार 17 बर्खास्त श्रमिकों को नौकरी पर वापिस नहीं लिया है बल्कि प्रबंधन ने 42 श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया तथा वी.आर.एस. के नाम पर 65 श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया। जबरदस्ती वी.आर.एस. देकर निकाले गए इन श्रमिकों की उम्र महज 34-36 वर्ष है।
    
इस त्रिपक्षीय समझौते को लागू करवाने के लिए यूनियन ने पिछले वर्ष 156 दिनों का धरना डी.सी. कार्यालय के सामने दिया था तथा ढ़ेरों ज्ञापन प्रशासन को दिए थे कि स्वयं श्रम विभाग व प्रशासन द्वारा किए गए समझौते को लागू करवाए। लेकिन श्रम विभाग व बेलसोनिका प्रबंधन का गठजोड़ खुल कर सामने आया। पहले तो श्रम विभाग ने बेलसोनिका यूनियन का पंजीकरण रद्द किया तथा उसके बाद बर्खास्त किए गए श्रमिकों की अप्रूवल प्रार्थना पत्र पर इस त्रिपक्षीय समझौते को नजरअदांज करते हुए श्रमिकों के खिलाफ ही आदेश पारित कर दिया। हाई कोर्ट ने लेबर कमिश्नर के उसी आदेश को रद्द करते हुए कहा कि लेबर कमिश्नर ने अपने आदेश में त्रिपक्षीय समझौते पर कोई विचार नहीं किया जबकि लेबर कमिश्नर की ड्यूटी बनती थी कि वह इस त्रिपक्षीय समझौते को लागू करवाए। 
    
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद भी लेबर कमिश्नर श्रमिकों के पक्ष में कोई रुख नहीं दिखा रहा है। अगर श्रमिकों के खिलाफ आदेश आ जाता है तो यही श्रम विभाग से लेकर शासन-प्रशासन सक्रिय हो जाता है।
    
बेलसोनिका यूनियन ने विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों का ज्ञापन देकर अपने संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया है। यूनियन अपनी जमीनी लड़ाई को मजबूत कर ही समझौते को लागू करवाने के लिए श्रम विभाग व फैक्टरी प्रबंधन को मजबूर कर सकती है। इस विरोध प्रदर्शन में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, श्रमिक संग्राम कमेटी के लोगों ने भी भागीदारी की। 
        -गुड़गांव संवाददाता
 

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