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नया साल है मगर नया क्या जरा बतायें<br />
परिवर्तन कुछ खास हुआ क्या जरा बतायें<br />
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वही भूख, बेकारी, शोषण के आलम हैं<br />
जख्म कोई रहनुमा छुआ क्या जरा बतायें<br />
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जल, जंगल, जीविका के लिए जान दांव पे’<br />
सिवा गमों के उन्हें मिला क्या जरा बतायें<br />
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गये सलाखों में बापू, तहलका वीर तक<br />
विष दामिनियों ने न पिया क्या जरा बताये<br />
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कृषक, मजूर मजे में कितने जरा देखिये<br />
बंद खुदकशी हुयी भला क्या जरा बतायें<br />
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लगा गये फिर दाग आदमीयत पे’ दंगे<br />
कुछ भी हमने सबक लिया क्या जरा बतायें<br />
<strong> -कमलेश ‘कमल’ नोएडा</strong>