
नया साल है नया विचार है, ऐ मेरे दोस्त<br />
जिसे तुम समझते हो अपना वो तो पूंजीपतियों का यार है<br />
हमें कर दिया कतारों में खड़ा, और कहता है इसी में देश का उद्धार है<br />
चीख रहा था 50 दिन-50 दिन पर 50 दिन बाद भी देश जनता का वही हाल है<br />
वो गा रहा है अपनी सभाओं में मेरा देश मेरा देश, पर देश में वो चंद लोगों का वफादार है <br />
ऐ मेरे दोस्त जिसे तुम समझते हो अपना वो तो अम्बानी अडाणी का यार है<br />
इसलिए उठो और राह चुनो क्रांति की<br />
क्योंकि अपना तो लाल झंडे के नीचे ही उद्धार है<br />
<strong> पप्पू (मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन बरेली)</strong>