राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के छोटी सरवन क्षेत्र में 2 अगस्त को न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। ये ग्रामीण आरोप लगा रहे हैं कि सरकार और शासन प्रशासन उनकी मांगों को माने बिना उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर रहा है। लाठीचार्ज से गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दी। बताया जा रहा है कि कई ग्रामीणों को गंभीर चोटें आई हैं। लाठीचार्ज के दौरान महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
दरअसल बांसवाड़ा में बन रहे माही परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए यहाँ 6 गांव (बारी, सजवानिया, रेल, खड़िया देव, आड़ीभीत और कुटुम्बी) के 3000 लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय निवासी उनकी मांग पूरी होने के बाद ही अपनी जमीन देने के लिए तैयार हैं।
प्रशासन का कहना है कि यहाँ 553 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए 415 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं और विस्थापित ग्रामीणों को घर बनाने के लिए 60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गयी है। लेकिन ग्रामीणों को शासन प्रशासन और सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। वे पहले अपनी मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। वे 18 जुलाई को बांसवाड़ा धाम में अपनी चिंताओं और समस्याओं के समाधान के लिए एकत्र हुए थे।
ज्ञात हो कि 2012 से ही यहाँ के लोग पावर प्लांट लगाने का विरोध करते आये हैं। स्थानीय विधायक व शासन-प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों का जुझारू आंदोलन रहा है। इस इलाके में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। इन्होने अपने संघर्ष को चलाने के लिए आदिवासी किसान संघर्ष समिति का निर्माण किया था। बाद में सरकार द्वारा उनकी मांगों को मानने पर आंदोलन स्थगित हुआ था।
जब फिर से परमाणु ऊर्जा संयंत्र को लगाने की बात आयी तो लोगों ने फिर विरोध शुरु कर दिया। लोगों ने इस लोकसभा चुनाव में वोट देने का बहिष्कार भी किया था। जिससे भाजपा सहित कई पार्टियों के नेता व शासन-प्रशासन नाराज भी है। ग्रामीणों का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण के मानकों की अनदेखी कर खेती की जमीनों को सरकार जबरन छीन रही है। 2800 मेगावाट के पावर प्लांट का शिलान्यास शीघ्र ही मोदी द्वारा किया जाना है। इसलिए शासन-प्रशासन शीघ्र ही यह जमीन खाली कराने के लिए उतारू है।
सरकार पर आरोप लगाते हुए ग्रामीणों का कहना है कि जो मुआवजे की राशि तय की गई है वो बहुत ही कम है। नौजवानों का भविष्य अंधेरे में है। उनकी मांग है कि सरकार परिवार के हर युवा को नौकरी दे तथा आवास तुरंत बना कर दे। इसके अलावा एक अस्पताल बनाने की भी उनकी मांग है।
आज विकसित देश अपने यहाँ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बंद कर रहे हैं तब भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने के नाम पर हज़ारों लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। तमिलनाडु के कुणाकुलम में भी वहां के निवासियों ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगने का विरोध किया था।
विकास के नाम पर सरकारों द्वारा आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खनिज सम्पदा का दोहन करने के लिए या परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने के नाम पर आदिवासियों को लगातार उजाड़ा जा रहा है। विरोध करने पर नक्सली घोषित कर जेलों में ठूस दिया जा रहा है।