तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के निकट श्रीपेरम्दुर में स्थित सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के करीब 1500 स्थायी मज़दूर 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ये मज़दूर वेतन वृद्धि, यूनियन को मान्यता देने और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। इस प्लांट में 5000 मज़दूर काम करते हैं जिनमें से 1800 मज़दूर स्थायी और बाकी अनुबंधित हैं।
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के इस प्लांट में रेफ्रिजेटर, टी वी, वाशिंग मशीन आदि घरेलू उपकरणों का निर्माण होता है। इस प्लांट की स्थापना 2007 में हुई थी। 18 सालों में मज़दूरों की यह पहली हड़ताल है। यह प्लांट सैमसंग द्वारा भारत सरकार को दिये जाने वाले राजस्व 12 अरब डॉलर का एक तिहाई राजस्व देता है।
हड़ताली मज़दूरों का कहना है कि उनकी मुख्य मांग यूनियन को मान्यता दिलवाना है। इसी साल जून में मज़दूरों ने अपनी यूनियन का गठन किया है। भारत सरकार यूनियन को मान्यता देने में देरी कर रही है और कम्पनी का प्रबंधन भी यूनियन को मान्यता देने को तैयार नहीं है।
अभी जुलाई महीने में सैमसंग के अपने देश दक्षिण कोरिया में भी इसके प्लांट के मज़दूरों ने वेतन वृद्धि और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग को लेकर हड़ताल की थी। सैमसंग अपने देश में स्थित प्लांटों में भी यूनियन को मान्यता नहीं देता है। सैमसंग का यह व्यवहार दिखाता है कि वह मज़दूरों के साथ सामूहिक सौदेबाज़ी से बचना चाहता है।
विदेशी निवेश के लिए लालायित सरकारें आज अपने देश के ही मज़दूरों को देश के श्रम कानूनों से वंचित करने का काम कर रही हैं। विदेशी कम्पनियां भी भारत में निवेश करने तभी आ रही हैं जब भारत की सरकारें श्रम कानूनों को एक तरह से उनके ऊपर लागू न करने का आश्वासन दे रही हैं। इनमें यूनियन गठित न करने का मुख्य मुद्दा है।