सत्ता के खेल में प्यादे को जिंदा रखना

मेवात के नूंह दंगों में आरोपी, कुख्यात और बदनाम व्यक्ति बिट्टू बजरंगी जो संजय एनक्लेव फरीदाबाद का रहने वाला है, आजकल फिर सुर्खियों में है। मेवात के नूंह दंगों में मोनू मानेसर के किरदार ने जो भूमिका निभाई लगभग उसी भूमिका को निभाने वाला यह बिट्टू बजरंगी भी है जिसने आपत्तिजनक टिप्पणियां और भड़काऊ भाषण देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि यह फिर भी सिर्फ किरदार ही है; असली पटकथा लिखने वाला या मौके को सही से इस्तेमाल करने वाला तो कोई और ही है, जो कि बाद के घटनाक्रमों से लगभग साफ भी होता गया कि कैसे एक सुनियोजित तरीके से हिंसा भड़का उसको दंगों में बदल दिया गया और अपनी ध्रुवीकरण की सांप्रदायिक राजनीति करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
    
वर्तमान मामला यह है कि बिट्टू बजरंगी के भाई महेश पांचाल की 8 जनवरी 2024 को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी। अगले दिन जब डेड बाडी को फरीदाबाद लाया गया तो बिट्टू बजरंगी के परिवारजन और बिट्टू बजरंगी के कई समर्थकों ने रोड पर जमकर प्रदर्शन किया। वे यह मांग कर रहे थे कि महेश के कातिलों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए, एक करोड़ की आर्थिक राशि दी जाए और घर के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। पुलिस प्रशासन ने मामले को शांत करने के लिए 48 घंटे में आरोपी की गिरफ्तारी और बिट्टू को सुरक्षा मुहैया करवाने का आश्वासन दिया।
    
अगले दिन यानी 10 जनवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा और विधायक नरेंद्र गुप्ता बिट्टू बजरंगी के घर संजय एनक्लेव फरीदाबाद आते हैं। दैनिक अखबारों के माध्यम से पता चला है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिट्टू बजरंगी से अकेले में भी कुछ बात की है।
    
13 दिसंबर 2023 की रात को बिट्टू बजरंगी के भाई महेश पर कुछ व्यक्तियों द्वारा जानलेवा हमला होता है। बिट्टू बजरंगी का कहना है कि 13 दिसंबर 2023 की रात को 1 :00 बजे कुछ नकाबपोश मेरे भाई की दुकान में आते हैं और पूछते हैं कि क्या तुम बिट्टू बजरंगी के भाई हो। उसके हां कहने पर पेट्रोल डालकर उस पर आग लगा दी जाती है जिसमें एक नाम अरमान का बताया गया है। फिर क्या था हो गया गेम शुरू। वही सांप्रदायिक माहौल, मुसलमानों के प्रति आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए वीडियो जारी की जाने लगीं। अपने आपको दीनहीन-लाचार दिखाते हुए, हिंदू खतरे में है, मुसलमान सर पर चढ़कर बोल रहा है, कि यहां बाबर की औलादें हैं, तथाकथित सभी हिंदुओं से एकजुट होकर मुसलमानों के प्रति हमला बोलने तक का आह्वान कर दिया गया।
    
पुलिस को मरते वक्त महेश ने जो बयान दिया वो बिट्टू बजरंगी के बयान से मेल नहीं खाता। फारेंसिक रिपोर्ट में भी पेट्रोल डालकर जलाने की बात नहीं है।
    
हर घटना को हिंदू-मुस्लिम के एंगल से देखना, उसमें सांप्रदायिक माहौल बनाना, दूसरे धर्म के प्रति नफरती बयान देना, बार-बार यह चिल्लाना कि हिंदू खतरे में है, हिंदू खतरे में है। यह सब संघ-भाजपा के कार्यकर्ताओं की आदत बन गयी है।   इसलिए इस तरह के लोगों द्वारा की गई कोई भी घटना या बयानबाजी को संदिग्ध नजर से देखना बहुत जरूरी है। और ऐसी सारी स्थिति में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का मेवात के नूंह हिंसा के मुख्य आरोपियों में से एक बिट्टू बजरंगी से मिलना फरीदाबाद क्षेत्र के निवासियों के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। वक्त आने पर सत्ता के लिए ऐसे प्यादों का इस्तेमाल कर समाज में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि इनका अभी तक का इतिहास इसी तरफ इशारा करता है।

आलेख

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1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

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इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

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