विविध
नरसंहारक इजरायली-अमेरिकी शासकों की बदलती भाषा
यहूदी नस्लवादी इजरायली सत्ता द्वारा जारी नरसंहार के साथ-साथ आतंकवादी कार्रवाइयों को भी अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने नये वर्ष की शुरूवात के दूसरे ही दिन लेबनान की राजधान
‘‘आप तो आंधी और तूफान थे’’
लेनिन को दुनिया से गुजरे हुए सौ वर्ष हो गये हैं। सौ वर्ष का समय कम नहीं होता है। इन सौ वर्षों में दुनिया में बहुत-बहुत बड़े बदलाव हुए। दुनिया कहीं की कहीं पहुंच गयी। लेकिन
‘हिन्दू राष्ट्र’ की ओर एक और कदम
संघ परिवार की ओर से गाहे-बगाहे यह बात होती रही है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना के सौ साल होने तक भारत एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ बन जायेगा। अब यह समय बहुत नजदीक आ गया
शोषण की चक्की में पिसते इंपीरियल आटो के मजदूर
इंपीरियल आटो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड प्लाट नंबर 21/1 कंपनी फरीदाबाद के सेक्टर 5 में स्थित है। यह कंपनी गाड़ी इंजन के लिए पार्ट्स बनाती है। फरीदाबाद के स्तर पर इंपीरियल
विज्ञान को निगलने पर उतारू आरएसएस का ग्रहण
भारतीय विज्ञान कांग्रेस प्रति वर्ष जनवरी पहले सप्ताह में आयोजित की जाती है। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग आर्थिक सहयोग (फण्ड) कर आयोजन में मदद करता रहा था। इस साल 3 स
बिल्किस बानो, हिंदू फासीवादी और सुप्रीम कोर्ट
गुजरात सरकार ने केंद्र सरकार की सहमति से बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को ठीक 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ बिलकिस की ओर से याचिका लगी। जिस पर स
सत्ता के खेल में प्यादे को जिंदा रखना
मेवात के नूंह दंगों में आरोपी, कुख्यात और बदनाम व्यक्ति बिट्टू बजरंगी जो संजय एनक्लेव फरीदाबाद का रहने वाला है, आजकल फिर सुर्खियों में है। मेवात के नूंह दंगों में मोनू मा
किसी भी कीमत पर चुनावी जीत हासिल करने की साजिश
भारतीय जनता पार्टी किसी भी कीमत पर लोकसभा के चुनाव जीतना चाहती है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल में डालना, नेताओं की खरीद-फरोख्त, विपक्षी पार्टियों के बैंक खातों को
उत्तर प्रदेश के बदायूं में रसोइयाकर्मियों का संघर्ष जारी
बकाया मानदेय के भुगतान सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर क्रमिक अनशन
राष्ट्रीय
आलेख
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
7 नवम्बर : महान सोवियत समाजवादी क्रांति के अवसर पर
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को