गुड़गांव/ अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए बेलसोनिका यूनियन ने 8 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर में एक प्रेस वार्ता बुलाई। प्रेस वार्ता में शामिल हुए पत्रकारों और मजदूर संगठन की प्रतिनिधियों को यूनियन के महासचिव, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा परिवार से शामिल हुई महिलाओं ने संबोधित किया।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए यूनियन के पदाधिकारियों ने विस्तार से कंपनी के स्थापित होने और उसमें मजदूरों के साथ होने वाले शोषण-उत्पीड़न और फिर यूनियन बनाने की प्रक्रिया और उसमें चले संघर्ष को बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह से प्रबंधन खुलेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन कर स्थाई काम में ठेकेदार के मजदूरों से काम करा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रबंधन यूनियन की एकता को तोड़ने के लिए 2021 से स्थाई मजदूरों को निकालने की मंशा पाले हुए हैं इसके लिए वह स्थाई मजदूरों की फर्जी दस्तावेज के नाम पर छंटनी करना चाहता है जिसके खिलाफ में यूनियन बॉडी और मजदूर एकजुट हैं। इससे बौखलाया प्रबंधन लगातार मजदूरों को उकसाने वाली कार्रवाई कर रहा है ताकि किसी बड़ी घटना को अंजाम दे अपने मंसूबों में कामयाब हो सके। अप्रैल माह में उसने यूनियन के तीन पदाधिकारियों समेत 10 अन्य मजदूरों को निलंबित कर दिया और कंपनी में बाउंसरों को नियुक्त कर मजदूरों को डराया धमकाया जा रहा है इसके खिलाफ में यूनियन लगातार शासन-प्रशासन को अवगत कराती रही है। पर शासन-प्रशासन भी प्रबंधन का साथ दे रहा है और मजदूरों को ही शांति बनाए रखने को कहा जा रहा है।
कंपनी परिसर में वर्तमान हालात को बयां करते हुए मजदूर नेताओं ने बताया कि किस तरीके से आज कंपनी की बसों के अंदर भी बाउंसर मौजूद हैं और वह लगातार मजदूरों को परेशान कर रहे हैं और एक डर का माहौल बनाया हुआ है।
प्रेस वार्ता में रीना जो यूनियन के अध्यक्ष महेंद्र कपूर की पत्नी और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की सदस्य हैं, ने बताया कि जिन लोगों को प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है उनके परिवार की स्थिति बहुत ही बुरी है और जिन तेरह मजदूर साथियों को निलंबित किया है उनके परिवार की स्थिति भी ठीक नहीं है। अप्रैल महीना बच्चों के नई कक्षा में दाखिला लेने का समय है और इस समय बच्चों की कॉपी-किताब, फीस-वर्दी आदि का खर्चा भी अतिरिक्त हो जाता है ऐसे समय में प्रबंधन का मजदूरों को बाहर निकालना मजदूरों के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर देता है और जो मजदूर अंदर काम कर रहे हैं वे और उनके परिवार भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं क्योंकि सभी ने अपने वेतन के हिसाब से अपने परिवार को सुविधाएं देने के लिए होम लोन और पर्सनल लोन ले रखे हैं। यदि यह नौकरी छूटती है तो सब के लिए ही परिवार को पालना मुश्किल हो जाएगा।
यह सिर्फ बेलसोनिका के मजदूरों की लड़ाई नहीं है यह बेलसोनिका मजदूरों के परिवार की भी लड़ाई है। मजदूरों एवं उनके परिवारजनों ने 22 मार्च को उपायुक्त, लघु सचिवालय, गुरुग्राम में प्रदर्शन कर मजदूरों के मुद्दों को हल करने के लिए ज्ञापन दिया था और संकल्प लिया था कि न्याय की इस लड़ाई को मजदूर अपने परिजनों के साथ लड़ेंगे। -गुडगांव संवाददाता