ब्रिटेन में तीन छोटी बच्चियों की हत्या की अफवाह पर कई शहरों में दक्षिणपंथी समूहों ने हिंसक प्रदर्शन किये। 90 लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदर्शंकारियों ने पुलिस पर बोतलें और कुर्सियां फेंकी। जिस होटल हॉलिडे इन एक्सप्रेस में राजनीतिक शरण चाहने वालों को रखा जाता है, उस पर हमला किया। 15 साल बाद ब्रिटेन में ऐसे दंगे दुबारा हुए हैं।
29 जुलाई को साउथपोर्ट में मशहूर सिंगर टेलर स्विफ्ट के एक कार्यक्रम में तीन छोटी बच्चियों जिनकी उम्र 6, 7 व 9 थी, की हत्या चाकू से कर दी गयी थी। इसका इलज़ाम एक मुस्लिम और अप्रवासी लड़के पर लगाया गया। तभी से दक्षिणपंथी समूह अप्रवासियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर जहर उगल रहा था और लोगों के अंदर अप्रवासियों के प्रति नफ़रत पैदा करने की कोशिश में लगा हुआ था। एनफ इज़ एनफ (enough is enough), सेव ऑवर लैंड (save our land) और स्टॉप द बोट्स (stop the boats) जैसे नारों के जरिये वे आम आबादी में अप्रवासियों को ब्रिटेन से भगाने की भावना भर रहे थे। जब 3 अगस्त को उन्होंने जुलूस निकाला तो वह एनफ इज़ एनफ (enough is enough) के नारों पर ही था।
दक्षिणपंथी समूहों के इस अप्रवासी विरोधी प्रदर्शन के जवाब में लीवरपूल में उदारवादी लोगों ने लाइम स्ट्रीट स्टेशन में लंच के दौरान अप्रवासियों के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान उनके नारे थे - "शरणार्थियों का यहाँ स्वागत है" "नाज़ी गंदगियों हमारी सड़कों से चले जाओ"।
ब्रिटेन के कई शहरों लीवरपूल, हल, ब्रिस्टल, मेनचैस्टर, ब्लैकपूल में दक्षिणपंथी समूहों ने प्रदर्शन किये और पुलिस पर हमले किये। ऐसा कर वे यह साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि अब अप्रवासियों को ब्रिटेन में न रहने दिया जाये। ये समूह लगातार यह बात कर रहे हैं कि फ्रांस से इंग्लिश चैनल पार कर अप्रवासी अवैध रूप से ब्रिटेन में बस रहे हैं और यहाँ के लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं। बढ़ते आर्थिक संकट के बीच उनके ये प्रदर्शन और आम जनता के बीच उनके आधार को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। एक महीने पहले हुए चुनाव में कंज़रवेटिव पार्टी ने भी एक विज्ञापन बनवाया था जिसमें लेबर पार्टी के उम्मीदवार को समुद्र के किनारे अप्रवासियों के लिए लाल कालीन बिछाते हुए दिखाया गया था। कंज़रवेटिव पार्टी द्वारा चुनाव में लेबर पार्टी को अप्रवासी समर्थक बताकर अप्रवासी विरोध के आधार पर वोट माँगना दिखाता है कि यह मुद्दा ब्रिटेन की जनता में असर रखता है।
दक्षिणपंथी समूहों की काम करने की शैली होती है कि वे अफवाहों को फैलाकर अपने घृणित हितों की पूर्ति करते हैं। समाज को बांटने की हर संभव कोशिश करते हैं। समाज में बढ़ रहे आर्थिक असंतोष का फायदा उठाकर वे समाज में पैर पसारते हैं और समाज को दंगों की आग में झोंक देते हैं।