
मोदी के गुजरात में जो भी हो जाये सब कम है। मोदी है तो मुमकिन है। अभी कुछ वर्ष पूर्व अडाणी के बंदरगाह पर 3000 करोड़ रुपये के ड्रग्स पकड़े गये थे। कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने वाला एक फर्जी उच्च अधिकारी, मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने वाला नकली अधिकारी, नकली टोल बूथ, फर्जी सरकारी दफ्तर, फर्जी पुलिस अधिकारी पकड़े गये। गुजरात की जेल में ही एक गैंगस्टर शान से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैंग चला रहा है। अब एक कदम और आगे बढ़कर नकली अदालत व नकली जज पकड़ा गया है। बस अब नकली मंत्री ही पकड़े जाने बाकी हैं।
फिल्मी कहानी की तर्ज पर गांधीनगर में नकली अदालत व नकली जज पकड़े गये हैं। मॉरिस सैमुअल नामक व्यक्ति वर्षों से इस फर्जी अदालत को चलाकर जज बना बैठा था। इस अदालत में न्याय पाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। यह जज 500 मामले में न केवल सजा सुना चुका है बल्कि न्याय करने के लिए भारी रकम भी वसूल चुका है।
9 वर्ष से चल रही इस अदालत के प्रति स्थानीय पुलिस-प्रशासन को जानकारी न हो, यह संभव नहीं है। दरअसल 9-10 वर्ष पूर्व गुजरात में न्यायिक बोझ कम करने व मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त करने शुरू हुए थे। इसी का लाभ उठा मोरिस मध्यस्थ बन कर जज का काम करने लगा। फिलहाल उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। जमीन विवादों में घूस लेकर इस जज ने करोड़ों रुपयें की कमाई भी कर डाली।
गुजरात मॉडल की ‘प्रगति’ इतनी स्पष्ट है कि नये-नये खुलासे मोदी की शोहरत में चार चांद लगा रहे हैं। ये खुलासे दिखलाते हैं कि कानून की किताब को यहां अलमारी में बंद कर दिया गया है। यहां संघ-भाजपा की मनमर्जी और पूंजीपतियों के हित भी कानून तय कर रहे होते हैं। फासीवादी हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ते भारत में संघ-भाजपा का शासन अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग करतूतें सामने ला रहा है। एक तरह से भाजपा शासित राज्यों में भारतीय संविधान और कानून को ताक पर रखने की होड़ मची है।