अर्थव्यवस्था

अमेरिका और शटडाउन का खतरा

अमेरिका एक बार फिर शटडाउन के खतरे से जूझ रहा है। 1 अक्टूबर से अमेरिका में नया वित्तीय वर्ष शुरू होना है और खर्चे संदर्भी बजट अगर 30 सितम्बर की मध्य रात्रि तक पारित नहीं ह

केन्या: कर वृद्धि के खिलाफ जनता सड़कों पर

केन्या में सरकार द्वारा करों में भारी वृद्धि के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर रही है, पुलिस से टकरा रही है और किसी भी कीमत पर कर वृद्धि वापस लेने की मांग पर अड़ी हुई है। सरकार प्रदर्शनों का क्रूर दमन कर र

गरीब मुल्क : बढ़ता कर्ज संकट

22-23 जून को पेरिस में दुनिया भर के 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठन 100 से अधिक देशों के प्रमुख इकट्ठा होने वाले हैं। ये सभी पेरिस क्लब की बैठक के तहत इकट्ठा होंगे। पेरिस क्लब के तहत दुनिया भर की

तुर्की : एर्दोगन फिर जीता

तुर्की के राष्ट्रपति पद के चुनाव में अंततः 20 वर्ष से सत्तासीन एर्दोगन एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहा। राष्ट्रपति पद के 14 मई को हुए पहले राउण्ड के चुनाव में किसी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत मत न म

पाकिस्तान : गहराता आर्थिक-राजनीतिक संकट

पाकिस्तान से बीते एक वर्ष से वक्त-वक्त पर काफी परेशान करने वाली खबरें आती रही हैं। कभी सरकारी मुफ्त राशन की लाइन में भगदड़ से लोग मर रहे हैं तो कभी राशन के अभाव में सड़कों पर लोग दम तोड़ दे रहे हैं। ब

श्रीलंका : आतंकवाद विरोधी बिल के विरोध में हड़ताल

    25 अप्रैल को श्रीलंका का उत्तरी व पूर्वी प्रांत पूरी तरह ठप रहा। दोनों प्रांतों के लोग राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के नये आतंकवाद विराधी कानून के विरोध में हड़ताल व चक्का जाम पर थे। इस नये कानून के त

अमेरिका में ठंड से मरते बेघर लोग

पूंजीवादी व्यवस्था में सबसे विकसित देश अमेरिका में वहां के नागरिकों की क्या स्तिथि है उसे अभी हाल की कुछ घटनाओं से समझा जा सकता है। जब क्रिसमस और नई साल के जश्न के बीच ठंड की वजह से मरते बेघर लोगों

अंतर्राष्ट्रीय

सिलिकान वैली बैंक का डूबना : नये तूफान की आहट

10 मार्च 2023 को अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक सिलिकान वैली बैंक अचानक डूब गया। 2008 के वित्तीय संकट के बाद से यह डूबने वाला सबसे बड़ा बैंक है। इस बैंक के डूबने की खबर ने दुनिया भर के शेयर बाजारों

इजरायल सरकार के बढ़ते फासीवादी कदम

पिछले दो महीने से ज्यादा समय से इजरायल की नेतन्याहू सरकार न्यायपालिका के अधिकारों में कटौती करने की योजना पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। इसके विरुद्ध विरोधी पार्टियों के नेतृत्व में लोग बड़े पैमान

तुर्की-सीरिया में भूकंप : पूंजीवादी शासकों ने विनाश को सैकड़ों गुना बढ़ाया

6 फरवरी सोमवार को तुर्की और उससे सटे सीरिया में एक विनाशकारी भूकंप आया। भूकंप सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर आया। भूकंप की तीव्रता 7.8 नापी गयी। बाद में भी भूकंप के हल्के झटके आते रहे। भूकम्प के चलते तुर्क

आलेख

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।