भारत : सबसे ज्यादा आबादी वाला देश
पिछले दिनों यह खबर आयी कि भारत ने आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। वह दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया। ऐसे मौके पर मजाकिया ढंग से देश के रहनुमा को बधाई दी जा सकती है।
पिछले दिनों यह खबर आयी कि भारत ने आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। वह दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया। ऐसे मौके पर मजाकिया ढंग से देश के रहनुमा को बधाई दी जा सकती है।
‘जिसकी जि कांग्रेस पार्टी ने आजकल एक नया नारा दिया है- ‘जिसकी जितनी आबादी, उसका उतना हक’। उसे लगता है कि यह नारा आने वाले चुनावों में उसका बेड़ा पार लगायेगा। जनता के विभिन्न हिस्से उसे हाथों-हाथ
हमारे देश में दोहरा चरित्र दर्शाने वाले ऐसे तमाम नेता, राजनेता, सांसद, विधायक बेनकाब होते रहे हैं जो बातों में, प्रवचनों में महिलाओं की बराबरी, महिलाओं के सम्मान, महिला सशक्तिकरण की डींगें हांक
हमारे देश में दोहरा चरित्र दर्शाने वाले ऐसे तमाम नेता, राजनेता, सांसद, विधायक बेनकाब होते रहे हैं जो बातों में, प्रवचनों में महिलाओं की बराबरी, महिलाओं के सम्मान, महिला सशक्तिकरण की डींगें हांक
भारत में चुनाव और भ्रष्टाचार के मुद्दे का सनातनी साथ है। चाहे आम चुनाव हों अथवा किसी राज्य के विधानसभा के चुनाव हों, भ्रष्टाचार का मुद्दा, प्रकट हो ही जाता है। चुनाव के ठीक पहले भ्रष्टाचार का मुद्द
2024 के लोकसभा चुनाव को अब बहुत ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। इसी के हिसाब से पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने दांव चल रहे हैं। इस बीच जैसे-जैसे मोदी सरकार ने विपक्ष को धराशायी करने के लिए तमाम हथकं
पंजाब का खालिस्तानी अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह आजकल फरार है। पुलिस देश के हर कोने में उसकी तलाश कर रही है। पंजाब के कई जिलों में इण्टरनेट सेवा ठप है। अमृतपाल के तमाम सहयोगी पकड़े जा चुके हैं पर अमृ
स्वराज पार्टी के नेता योगेन्द्र यादव राहुल गांधी की ‘भारत-जोड़ो’ यात्रा में शुरू से अंत तक शामिल हुए थे। उन्हीं की तरह बहुत सारे गैर-सरकारी संगठनों के लोग भी। इसी यात्रा के दौरान एक इंटरव्यू में उन्
भारतीय संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सत्ता पक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ा रहा। हंगामा इस बात को लेकर था कि राहुल गांधी विदेश में दिये गये भाषण के लिए माफी मांगें। भाजपा ने इस मांग को लेकर लोकसभा और राज
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को
7 अक्टूबर को आपरेशन अल-अक्सा बाढ़ के एक वर्ष पूरे हो गये हैं। इस एक वर्ष के दौरान यहूदी नस्लवादी इजराइली सत्ता ने गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और व्यापक
अब सवाल उठता है कि यदि पूंजीवादी व्यवस्था की गति ऐसी है तो क्या कोई ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था कायम हो सकती है जिसमें वर्ण-जाति व्यवस्था का कोई असर न हो? यह तभी हो सकता है जब वर्ण-जाति व्यवस्था को समूल उखाड़ फेंका जाये। जब तक ऐसा नहीं होता और वर्ण-जाति व्यवस्था बनी रहती है तब-तक उसका असर भी बना रहेगा। केवल ‘समरसता’ से काम नहीं चलेगा। इसलिए वर्ण-जाति व्यवस्था के बने रहते जो ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था की बात करते हैं वे या तो नादान हैं या फिर धूर्त। नादान आज की पूंजीवादी राजनीति में टिक नहीं सकते इसलिए दूसरी संभावना ही स्वाभाविक निष्कर्ष है।