टैरिफ युद्ध का शिकार बनते चीन के वस्त्र उद्योग के मजदूर

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चीन का वस्त्र व परिधान उद्योग अमेरिका द्वारा चीन पर थोपे गये भारी तटकर से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसका प्रभाव इस क्षेत्र के मजदूरों पर पड़ना शुरू भी हो गया है। 
    
चीन वैश्विक परिधान उत्पादन में दुनिया में अग्रणी देश है। वैश्विक परिधान निर्यात का    31.6 प्रतिशत चीन से होता है। 300 अरब डालर का यह चीनी उद्योग लगभग 1.5 करोड़ मजदूरों (जिसमें अधिकांश महिला मजदूर हैं) की रोजी-रोटी का जरिया है। इस क्षेत्र में कम मजदूरी पर बेहद कम सामाजिक सुरक्षा के साथ महिला मजदूर आम मजदूरों से ज्यादा घण्टे काम कर अपना जीवन बसर करती रही हैं। अब नये तटकरों की घोषणा के साथ पश्चिमी नामी ब्रांड पीछे हट रहे हैं व उनके आर्डर कम हो रहे हैं तब इसका खामियाजा इन महिला मजदूरों को उठाना पड़ रहा है। यद्यपि अप्रैल की तटकर घोषणा से पहले से ही चीन से कपड़ा निर्यात में गिरावट देखी जा रही थी पर तटकर घोषणा के बाद तो ढेरों मजदूरों का रोजगार छिनने का खतरा पैदा हो गया है। 
    
अमेरिकी तटकर की मार से बचने के लिए चीनी वस्त्र निर्माता कंपनियां अपने उत्पादन के बड़े हिस्सों को दूसरे देशों में स्थानान्तरित करने को मजबूर हो रही हैं। शेनझोउ इण्टरनेशनल और हुआली इण्डस्ट्रियल ग्रुप सरीखे प्रमुख चीनी वस्त्र निर्माताओं ने काफी उत्पादन वियतनाम, बांग्लादेश और कंबोडिया स्थानांतरित कर दिया है। शेनझोउ इंटरनेशनल, नाइकी व एडिडास कंपनी की प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। शेनझोउ इंटरनेशनल के हांगकांग में सूचीबद्ध शेयरों में 14 प्रतिशत की गिरावट आयी है। हुआली ग्रुप नाइकी व एकेचर्स ब्रांड के लिए एथलेटिक जूते बनाता है, इसने अपना उत्पादन वियतनाम स्थानांतरित करने की योजना बनायी है। चीन में इसका उत्पादन कम होने से झोंगशान में इसकी एक फैक्टरी के 80 प्रतिशत कर्मचारियों पर नौकरी खोने का खतरा पैदा हो गया है। 
    
चीनी परिधान उद्योग में अप्रैल माह में कारखाने बंद होने व छंटनी के मामलों में उछाल दर्ज किया गया है। मई माह में ये संख्यायें और बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। कारखाने बंदी का शिकार ज्यादातर छोटी-छोटी फैक्टरियां हो रही हैं पर बड़ी फैक्टरियों पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है। ढेरों फैक्टरियों में मजदूरों का वेतन भुगतान रुका हुआ है। मजदूरों की बगैर किसी पूर्व चेतावनी के अचानक छंटनी की घटनायें तेजी से बढ़ी हैं। 
    
गुइझोऊ की एक युवा प्रवासी महिला मजदूर ने अपनी दुर्दशा की एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली है। यह महिला नौकरी के लिए तटीय झेजियांग प्रांत गयी थी। अप्रैल माह में उसकी फैक्टरी बंद हो गयी और वह बेसहारा हो गयी। अपने अल्प भोजन को फिल्माते हुए वह अपना दुखड़ा सुनाती है कि उसने उस दिन भोजन पर 3 युआन खर्च किये हैं और भविष्य में वह यह भी खरीदने की स्थिति में नहीं होगी। वह बताती है कि वह झेजियांग से अपने इलाके गुइझोऊ जाना चाहती है पर पैसे के अभाव में वो नहीं जा सकती है। अंत में वह पूछती है कि अब वह कहां जाये। 
    
चीन में सामूहिक प्रतिरोध पर सरकारी दमन का खतरा अधिक होने से बेरोजगार मजदूर अपना प्रतिरोध व्यक्तिगत रूप से आनलाइन पोस्टों के जरिये कर रहे हैं। मजदूर प्रतिरोध की ओर इसलिए भी नहीं बढ़ रहे हैं कि वे मालिकों द्वारा खुद पर आये संकट की बातों पर यकीन कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि संकट का यह दौर बीतने पर वे फिर से काम पा जायेंगे। मालिकों ने भी चालाकी से अलग-अलग किस्तों में मजदूरों को काम से छुट्टी देने का काम किया है ताकि उन्हें मजदूरों का सामूहिक प्रतिरोध न झेलना पड़े। 
    
पर जितने बड़े पैमाने पर टैरिफ युद्ध से इस क्षेत्र के मजदूरों का जीवन प्रभावित होने की आशंका है उसमें इस बात की पूरी संभावना है कि मजदूर शीघ्र ही स्वतः स्फूर्त सामूहिक संघर्षों की ओर बढ़ेंगे। 
    
नाइकी, एडिडास सरीखे बहुराष्ट्रीय ब्राण्ड जिन्होंने करोड़ों चीनी मजदूरों की मेहनत निचोड़ कर अकूत मुनाफा कमाया, अब बदली परिस्थिति में अपने आर्डर रद्द करने में एक दिन भी देरी नहीं कर रहे हैं। आम चीनी मजदूरों की दुर्दशा के लिए ये मुख्यतः जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही अपने मजदूरों को दूध में पड़ी मक्खी की तरह काम से निकालने वाले चीनी उत्पादक भी उतने ही दोषी हैं। दुनिया में चीन को फिर से महान बनाने का दम्भ भरने वाले साम्राज्यवादी चीनी शासक मजदूरों के लिए पैदा हुई इस विपरीत परिस्थिति में उन्हें नाम मात्र की सामाजिक सुरक्षा भी देने को तैयार नहीं हैं। 
    
उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने मजदूरों की कार्य परिस्थितियों-सुविधाओं को बुरे ढंग से प्रभावित किया। अब जब टैरिफ युद्ध के जरिये इस प्रक्रिया के उलट नीतियां अपनायी जा रही हैं तो उसका खामियाजा भी मजदूर वर्ग को ही भुगतना पड़ रहा है। 

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