पंतनगर (उधमसिंह नगर) : डॉल्फिन के मज़दूरों का संघर्ष जारी है

डाल्फिन प्रबंधन के इशारों पर 5 मजदूरों व इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता कैलाश भट्ट पर पुलिस ने फर्जी मुकदमे लगाए

उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में पंतनगर सिड़कुल में स्थित डाल्फिन कम्पनी के मज़दूरों का संघर्ष जारी है। यह कम्पनी मारुति के कल-पुर्जे बनाती है। इस कम्पनी में हजारों मजदूर ठेके में काम करते हैं। यहाँ मज़दूरों का शोषण-उत्पीड़न चरम पर है। कम्पनी प्रबंधन खुलेआम श्रम कानूनों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। यहाँ मजदूरों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।

दिसंबर 2023 में मजदूरों ने अपने शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष की शुरुआत की और एक दिन की हड़ताल कर मजदूरों ने प्रबंधन वर्ग को झुकाया था। प्रबंधन ने वार्ता में श्रमिकों की सारी मांगों पर सहमति दी।

लेकिन बाद में प्रबंधन वर्ग ने बदले की भावना से मजदूरों को निकालना शुरू कर दिया। इसके खिलाफ मज़दूरों ने श्रम विभाग व शासन-प्रशासन में अनेकों शिकायत व अर्जी लगाई। इसके बाद मज़दूरों को काम के दौरान कम्पनी में प्रबंधन और ठेकेदारों द्वारा डराया-धमकाया जाने लगा।

कुछ दिन पहले सोनू नाम के एक मजदूर को फर्जी मुकदमे लगाकर जेल भेज दिया गया था। बाद में मज़दूरों के संघर्ष के जरिये सोनू बाहर आया। फैक्टरी से निकाले गये मज़दूरों ने अब आर-पार के संघर्ष करने का मन बना लिया है।

डाल्फिन मजदूरों को अपने संघर्ष में रुद्रपुर व पंतनगर सिडकुल के संयुक्त मोर्चा के घटक यूनियनों व संगठनों का सहयोग मिल रहा है। मजदूरों ने 9 जून को मजदूर पंचायत करने का ऐलान किया है। हड़ताल कर पंचायत में जाने के लिए मजदूर तैयार हैं। डाल्फिन के मजदूरों द्वारा प्रचार-प्रसार जारी है लेकिन डाल्फिन प्रबंधन, ठेकेदार व पुलिस प्रशासन द्वारा मजदूरों को डराया-धमकाया जा रहा है कि अगर वे हड़ताल में गये तो सबके ऊपर मुकदमे लगेंगे व जेल भेज दिये जाओगे। मजदूर पंचायत को तमाम यूनियनों व संगठनों का सहयोग व समर्थन मिल रहा है।

मजदूर पंचायत को सफल बनाने के लिए 5 जून की शाम को रुद्रपुर में इंकलाबी मजदूर केंद्र के आफिस पर मजदूरों की मिटिंग थी। डाल्फिन प्रबंधन द्वारा मिटिंग को बाधित करने के लिए गार्ड द्वारा विडियो बनाने के लिए भेजा गया। इसका मजदूरों ने विरोध किया। प्रबंधन के इशारों पर पुलिस भी पहुंची और उसने भी बाधित करने कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाई। मजदूरों ने सभा की और मजदूर पंचायत को सफल बनाने के लिए प्रचार-प्रसार जारी रखने और हड़ताल करने की बात की।

मजदूरों के आक्रोश व एकता को देखकर प्रबंधन परेशान है। और अब प्रबंधन के इशारों पर पुलिस द्वारा डाल्फिन के 5 मजदूरों व इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता कैलाश भट्ट पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिये गये हैं।

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को