पत्रकारों पर बढ़ते हमले
भारत में पत्रकारों पर हमले अब आए दिन की बात बन गए हैं। राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के हालिया आंकड़े इस बात को और भी स्पष्ट करते हैं। इस ग्रुप ने आंकड़ों को इकट्ठा कर यह
भारत में पत्रकारों पर हमले अब आए दिन की बात बन गए हैं। राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के हालिया आंकड़े इस बात को और भी स्पष्ट करते हैं। इस ग्रुप ने आंकड़ों को इकट्ठा कर यह
फरीदाबाद/ फरीदाबाद (हरियाणा) का सेक्टर-56, फरीदाबाद के सेक्टर-55 से बड़ी सी नदी के बाद शुरू होता है। हालांकि अब यह नदी गंदे नाले में बदल चुकी है। यही नदी
हल्द्वानी/ हल्द्वानी (उत्तराखंड) क्षेत्रान्तर्गत कमलुवागांजा में साम्प्रदायिक सौहार्द खराब करने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों की दुकानों को जबरन बंद करवाने/खाल
बीते कुछ समय से समूचे उत्तराखण्ड में पुलिस का सत्यापन अभियान चल रहा है। इस सत्यापन अभियान के तहत पुलिस उत्तराखण्ड के बाहर के व्यक्तियों, किरायेदारों, दुकानदारों, फड़-ठेली
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका यात्रा से लौटते ही एक बार फिर समान नागरिक संहिता का राग छेड़ दिया है। वर्तमान समय में इस मुद्दे को उठाने का भाजपा का लक्ष्य एकदम स्पष्ट है। इस
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को