जे एन यू के भगवाकरण में जुटा संघ
जेएनयू में विगत 22 अक्टूबर को आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। पथ संचलन संघ की फासीवादी वर्दी में हुआ। इस कार्यक्रम का जेएनयू छात्र संघ और उससे जुड़े संगठनों ने विरोध किया। विश्वविद्यालय प्रश
जेएनयू में विगत 22 अक्टूबर को आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। पथ संचलन संघ की फासीवादी वर्दी में हुआ। इस कार्यक्रम का जेएनयू छात्र संघ और उससे जुड़े संगठनों ने विरोध किया। विश्वविद्यालय प्रश
आज देश की सारी समस्यायें गरीबी, बेकारी, महंगाई खत्म हो गयी हैं। खेतों में दिन-रात मेहनत करते-घाटे की खेती करते गरीब किसान की बदहाली गायब हो गयी है। अब देश की इकलौती सर्वप
भारतीय समाज में जैसे-जैसे पूंजीवाद का विकास हुआ वैसे-वैसे आधुनिकता भी बढ़ी है। नई पीढ़ी/जनरेशन अपने पहले की पीढ़ी से दो कदम आगे है। क्योंकि आज की पीढ़ी को ढेर सारे ऐसे संसाधन
हरियाणा के जिला फरीदाबाद के लघु सचिवालय में सुबह के 8 बजे हैं। लघु सचिवालय के मेन गेट से अन्दर जाने के बाद दायीं ओर जाने पर अंत में दो खिड़कियां हैं। सिर्फ खिड़कियां हैं को
(13 अप्रैल 1978 का पंतनगर का गोलीकांड इस बात का गवाह है कि कैसे भारत के सार्वजनिक उपक्रमों में भी मजदूरों का निर्मम दमन-उत्पीड़न किया जाता था। कि आजाद भारत के शासक क्रूरता में ब्रिटिश हत्यारों से कह
मोदी सरकार अडाणी का भांडा फूटने के बाद भी अडाणी ग्रुप की कंपनियों को बचाने के लिए सरकारी कंपनियों में जमा जनता के पैसों को शेयर बाजार में लगा रही है। सरकार ने पहले अडाणी के साम्राज्य को बढ़ाने के लि
इलाहाबाद में 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की खुलेआम हत्या के बाद बुलडोजर और एनकाउंटर एक बार फिर प्रचार और विरोध का विषय बना हुआ है। उमेश पाल, पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या मामले में मुख्य आरोपी बदमाश
फुटबाल विश्व कप 2022 का फाइनल वैसे तो दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेण्टीना की टीम जीत कर गयी लेकिन हार कर दूसरे नम्बर पर रह गयी फ्रांस की टीम व इसके खिलाड़ियों की, विशेष कर इस पूरे विश्व कप में सबसे अधिक
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को