विविध

छात्र संघ चुनाव बंद करने की ओर बढ़ती उत्तराखंड सरकार

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उत्तराखंड के राजकीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में सत्र 2024-25 में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जाएंगे। उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने दायर एक जनहित याचिका पर यह जन

चीफ जस्टिस का ‘‘दैवीय फैसला’’

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देश के भीतर फकीर मोदी ने इस साल चुनाव से पहले ही खुद को अजैवीय महसूस किया था। अपनी इस अलौकिकता का एहसास जब प्रधान सेवक मोदी को हुआ तो उन्होंने भूलोक के समस्त वासियों को ब

‘‘जय श्री राम’’ के बहाने

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मुकदमे के सम्बन्ध में एक फैसला दिया जिसको सुनकर फासीवादी अत्यन्त प्रसन्न हो गये होंगे। यह मुकदमा था मस्जिद में दो व्यक्तियों द्वारा ‘‘जय श्री राम’’

महिला गिग वर्कर्स का दीपावली के दिन ‘डिजिटल हड़ताल’ का आह्वान

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गिग एंड प्लेटफार्म सर्विसेज वर्कर्स यूनियन (GIPSWU) ने गिग वर्कर्स से अपील की है कि वे दीपावली पर अपने फोन बंद कर दें और ‘डिजिटल साइलेंस’ पर चले जाएं।
    

सऊदी अरब के निओम प्रोजेक्ट में श्रमिकों की चौंकाने वाली मौतें

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सऊदी अरब ‘‘नियोम सिटी प्रोजेक्ट’’ पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश में एक अभिनव शहरी क्षेत्र बनाना है। प्रमुख परियोजना के निर्माण के लिए श्रमिकों को कानूनी सीमाओं से

वी वी डी एन कम्पनी में मजदूरों का शोषण

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आईएमटी मानेसर में स्थित वी वी डी एन कम्पनी के 6 प्लांट हैं। भारत के स्तर पर 10 डिजाइन सेंटर और कुल 7 प्लांट हैं। यह कंपनी इंजीनियरिंग, निर्माण, डिजिटल नेटवर्क के क्षेत्र

ये डर है तो किस बात का डर है

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जब दुनिया में कहीं समाजवादी राज्य नहीं है; जब दुनिया भर में क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन टूट-फूट बिखराव का शिकार है; जब मजदूर वर्ग क्रांति अथवा समाजवाद की ओर कोई हल्का सा झुकाव भी नहीं दिखा रहा है, तब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प और भारत में मोदी विपक्षियों पर समाजवाद या नक्सलवाद का आरोप क्यों लगा रहे हैं। समाजवाद, कम्युनिज्म में ऐसा क्या है जो इनका ‘‘भूत’’ पूंजीपति वर्ग को सताता रहता है। इनमें से हर पार्टी को दूसरी पार्टी या हर नेता को दूसरे नेता की हकीकत, जन्म कुण्डली का अच्छे से पता है फिर ये आरोप-प्रत्यारोप क्यों?

ब्रिक्स का शीर्ष सम्मेलन और बदलती दुनिया

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ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

आलेख

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को