जला डालो हमारे खेत खलिहान
जला डालो हमारे सपने
छिड़क दो तेजाब हमारे गीतों पर
कत्ल किए गये हमारे लोगों के
लहू के ऊपर चाहे तो फैला दो
बुरादों की मोटी परत
अपने नए ईजादों से इस तरह लपेट दो
हमारी गर्दन
कि अंदर ही अंदर घुट जाए
तुम्हारी कैद में बंदी देशभक्तों के
सारे उद्धोधन आजादी के
खाक कर डालो
नष्ट कर डालो
हमारी हरियाली और मिट्टी
नेस्तनाबूद कर डालो हमारे खेत और गांव
एक-एक चुन कर
जो हमारे पुरखों ने बनाए थे जतन से
अपने बम फेंको इस ढब कि
कोई शहर कोई कस्बा बचने न पाए
जमींदोज हो जाए
एक-एक दरख्त एक-एक घर
एक-एक किताब एक-एक कानून
सभी घाटियां समतल कर डालो
फरमानों का चाहे तो ऐसा रेला झोंको,
कि बिल्कुल न बचे हमारा अतीत
आंधी में उड़ जाए हमारा साहित्य
हमारी कल्पनाएं और रूपक
हमारी धरती जंगलों को ऐसा उजाड़ो
कि एक पिद्दी से मकोडे को भी
कहीं छुपने की जगह न मिल पाए
इतना करो या मुमकिन हो तो
इससे भी ज्यादा वीभत्स कुछ कर डालो
मैं तुम्हारी दरिंदगी से डरने वाला नहीं
मैं पूरे एहतिहात के साथ बचा लूंगा
दरख्त का वह बीज
जो पीढ़ियों से हमारे पुरखों ने
खूब जतन से बचा रखा था
उस बीज को मैं फिर से रोप दूंगा
अपनी मातृभूमि की मिट्टी पर
(साभार : नवजीवन)
बीजों के रखवाले -फवाज तुर्की
राष्ट्रीय
आलेख
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
7 नवम्बर : महान सोवियत समाजवादी क्रांति के अवसर पर
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को