बेलसोनिका प्रबंधन की वादाखिलाफी पर मजदूर संघर्षरत

‘‘वादाखिलाफी जुलूस’’ निकाल कर एस.डी.एम. गुड़गांव को ज्ञापन सौंपा

गुड़गांव/ दिनांक 24 अगस्त 2023 को बेलसोनिका यूनियन ने ‘‘वादाखिलाफी जुलूस’’ निकाल कर एसडीएम महोदय गुड़गांव को ज्ञापन सौंपा। यूनियन ने ए व सी शिफ्ट के श्रमिकों के साथ राजीव चौक गुड़गांव पर इकट्ठा होकर जुलूस निकालकर 1 जून को हुए त्रिपक्षीय समझौते की पालना करवाने हेतु एसडीएम गुड़गांव को ज्ञापन सौंपा। जुलूस में एटक गुड़गांव, मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर, सुजुकी मोटरसाइकिल यूनियन, मारुति स्ट्रगलिंग कमेटी, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र गुड़गांव, इंक़लाबी मजदूर केंद्र गुड़गांव इत्यादि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा अपनी-अपनी बात भी रखी।
    
बता दें कि बीती 1 जून 2023 को यूनियन व बेलसोनिका प्रबंधन के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता एसडीएम गुड़गांव की अध्यक्षता में तथा श्रम विभाग की मध्यस्थता में हुआ था। समझौते में लिखा गया था कि प्रबंधन द्वारा बर्खास्त 17 श्रमिकों को एक माह के अंदर नौकरी पर रखते हुए समाधान निकालने के प्रयास किए जाएंगे, इसके साथ ही लंबित सामूहिक मांग पत्रों का समाधान भी एक माह के अंदर निकालने के प्रयास किए जाएंगे। लेकिन समझौते के दो माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी बेलसोनिका प्रबंधन का रवैय्या ज्यों का त्यों बना हुआ है।
    
प्रबंधन व यूनियन की 11 दौर की वार्ताएं दिनांक 9 जून 2023 से दिनांक 27 जुलाई 2023 तक हुई। लेकिन प्रबंधन 11 दौर की वार्ताओं में एक ही रट लगाए रहा कि यूनियन 17 बर्खास्त श्रमिकों व तीन निलंबित यूनियन पदाधिकारियों को छोड़कर केवल सामूहिक मांग पत्र पर बातचीत करें। इसके साथ ही बेलसोनिका प्रबंधन ने यूनियन के सामने यह शर्त भी रखी कि यूनियन पहले उत्पादन बढ़ाने वाली कमेटी में शामिल होकर बताए कि मशीनों की क्षमता से अधिक कितना उत्पादन बढ़ा सकती है? जब तक यूनियन उत्पादन बढ़ाने के आंकड़े प्रस्तुत नहीं करेगी तब तक सामूहिक मांग पत्र का भी हल नहीं हो सकता। वार्ताओं में प्रबंधन ने यूनियन को यह भी धमकी दी कि श्रमिकों पर की जा रही अपनी कार्रवाईयों को प्रबंधन नहीं रोकेगा। प्रबंधन श्रमिकों की छंटनी की कार्रवाईयां बंद करने को तैयार नहीं है। यूनियन ने भी प्रबंधन को वार्ताओं में साफ कर दिया है कि यूनियन अपने किसी भी श्रमिक की नौकरी पर समझौता नहीं करेगी। प्रबंधन पहले 17 बर्खास्त श्रमिकों को नौकरी पर वापस ले, उसके बाद यूनियन सामूहिक मांग पत्र पर बात करेगी। यूनियन ने जुलूस में अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर प्रबंधन 17 बर्खास्त श्रमिकों को नौकरी पर वापस नहीं लेता है तथा फर्जी दस्तावेजों के नाम पर छंटनी पर रोक नहीं लगाता है तो यूनियन फिर से संघर्ष का रास्ता अख्तियार करेगी। यूनियन ने इससे पूर्व 18 अगस्त 2023 को गेट मीटिंग के माध्यम से एक बार फिर श्रमिकों को संघर्ष हेतु कमर कसने का आह्वान किया था। यूनियन फिर से संघर्ष की ओर अग्रसर हो रही है।      -गुड़गांव संवाददाता

आलेख

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।