ठेका मजदूरों ने संघर्ष के दम पर हासिल किया वेतन

पंतनगर/ दिनांक 24 अगस्त 2023 को जुलाई माह का वेतन भुगतान नहीं होने से गुस्साए गार्डन सैक्सन के ठेका मजदूरों ने सुबह काम बंद कर दिया। मजदूरों ने लम्बित जुलाई माह का वेतन और हर माह की 7 तारीख तक वेतन तथा माह में 26/27 कार्य दिवसों का वेतन भुगतान करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि वेतन भुगतान नहीं होने पर कल फिर काम बंद होगा। मजदूरों के आंदोलन के भय से प्रशासन/ठेकेदार को दो घंटे के अन्दर वेतन भुगतान करना पड़ा।                                                                
    
मालूम हो कि सरकारी संस्था विश्व विद्यालय में वर्षों से लगातार कार्यरत ठेका मजदूर श्रम कानूनों द्वारा देय अवकाश, बोनस, बीमा, ग्रेच्युटी से वंचित है। श्रम नियमानुसार इन्हें माह की 7 तारीख तक वेतन भुगतान किया जाना चाहिए। हालांकि विश्व विद्यालय श्रम कल्याण अधिकारी के द्वारा माह की 7 तारीख तक एवं निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण के द्वारा माह की 10 तारीख तक वेतन भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नहीं विगत वर्ष 2021 में वर्तमान कुलपति महोदय द्वारा हर माह के प्रथम सप्ताह में वेतन भुगतान के साथ माह में 26/27 कार्य दिवसों का वेतन भुगतान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इन आदेशों का आज तक पालन नहीं किया गया। कभी समय से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। ठेका मजदूरों को माह में 20 कार्य दिवसों का वेतन भुगतान किया जा रहा है। जिसका एक कारण उत्तराखंड सरकार द्वारा विश्व विद्यालय के बजट में लगातार की जा रही कटौती भी है। इससे ठेका मजदूरों के साथ नियमित कर्मचारी, तथा संसाधनों के अभाव में शिक्षण शोध में अध्ययनरत छात्र भी प्रभावित हो रहे हैं। ठेका मजदूर कल्याण समिति द्वारा लम्बे समय से पत्राचार ज्ञापन के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
    
समय से वेतन भुगतान न होने से एक ओर अति अल्प न्यूनतम मजदूरी पर कार्यरत ठेका मजदूरों को बच्चों की स्कूल फ़ीस, आवास किराया, राशन, सब्जी इत्यादि परिवार के पालन-पोषण में अत्यधिक आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि आवास किराया समय पर जमा नहीं होने से विश्व विद्यालय द्वारा ठेका मजदूरों से विलम्ब शुल्क वसूला जा रहा है। जब  वेतन समय से नहीं मिलेगा तो आखिर ठेका मजदूर आवास किराया, जल, विद्युत शुल्क कैसे समय से जमा करेंगे?
    
विगत दिनांक 22 अगस्त 2023 को ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर द्वारा कुलपति एवं निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण विश्व विद्यालय पंतनगर को पत्र देकर जुलाई माह का लम्बित वेतन भुगतान कराने की मांग की गई थी। परंतु अभी तक सभी विभागों के ठेका मजदूरों का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। अफसरों की अनदेखी, उपेक्षा के कारण ठेका मजदूर वेतन को लेकर अक्सर काम बंद करने को बाध्य होते हैं। तभी जाकर कहीं सुनवाई होती है।  
        -पंतनगर संवाददाता

आलेख

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

/kumbh-dhaarmikataa-aur-saampradayikataa

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

/trump-putin-samajhauta-vartaa-jelensiki-aur-europe-adhar-mein

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

/kendriy-budget-kaa-raajnitik-arthashaashtra-1

आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो।