
भाजपा, कश्मीर को छोड़कर शेष पूरे देश में धारा-370 को खत्म करने का श्रेय लेते घूम रही है। दावा कर रही है कि मोदी राज में जम्मू-कश्मीर के हालात एकदम बदल गये हैं। आतंकवाद पर काबू पा लिया है और धरना-प्रदर्शन खत्म हो गये हैं। वहां विकास की गंगा बह रही है। जम्मू-कश्मीर के लोग ‘‘मुख्यधारा’’ में शामिल हो गये हैं और मोदी की लोकप्रियता वहां शेष देश की तरह बाकी नेताओं के मुकाबले बहुत-बहुत ज्यादा है।
भाजपा के इस प्रचार से यही निष्कर्ष निकलेगा कि वह आम चुनाव में जम्मू-कश्मीर के पांच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही होगी और वह बहुत बड़े अंतर से अपने विरोधियों को हरा देगी।
परन्तु सच कुछ और है। जम्मू संभाग की दो सीटों पर तो भाजपा लड़ रही है परन्तु कश्मीर संभाग में उसकी अपने प्रत्याशी खड़ा करने की हिम्मत ही नहीं हुयी। वह मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुयी। मोदी-शाह की हिम्मत ही नहीं है कि वहां वह अपना प्रत्याशी खड़ा कर सके। 2019 के चुनाव में वह लड़ी थी परन्तु 2024 में वह कश्मीर में अपना डब्बा गोल हो जाने के डर से लड़ ही नहीं रही है। कुछ उसने अपने प्राक्सी जरूर खड़े किये हैं।
भाजपा ने अपने दस साल में जम्मू-कश्मीर में दमन की एक से बढ़कर एक दास्तां लिखी। उसका विशेष राज्य का दर्जा छीना। दो भागों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में उसको बांट दिया। राज्य का दर्जा छीनकर उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया। जम्मू-कश्मीर को देशी-विदेशी पूंजी के लिए खुली चारागाह बना दिया। ऐसे में भाजपा वहां चुनाव लड़ती तो उसकी बहुत बड़ी फजीहत होती तो उसने सोचा चुनाव के शोर में किसे याद रहेगा कि भाजपा कश्मीर छोड़कर भाग खड़ी हुयी। सच तो यह है कि किस मुंह से वो वहां जाये जहां उसने चोरी की।