नया न्यूनतम वेतन लागू करवाने को रैली-प्रदर्शन

हरिद्वार/ दिनांक 20 मई को संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार द्वारा चिन्मय डिग्री कालेज से लेकर श्रम विभाग तक रैली निकाली गयी और नया न्यूनतम वेतन लागू करवाने के लिए और श्रम कानूनों का पालन करवाने के लिए श्रमायुक्त महोदय को एक ज्ञापन सौंपा गया। 
    
श्रम भवन पर हुई सभा में संयुक्त मोर्चे के संयोजक एवं फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि हर 5 साल में राज्य सरकार न्यूनतम वेतन पुनरीक्षित करती है। इसी क्रम में इस बार अप्रैल में 25 प्रतिशत वेतन वृद्धि का नया शासनादेश आया। कई कंपनियों में यह शासनादेश लागू हो चुका है जबकि अधिकांश कंपनियों में यह शासनादेश लागू नहीं किया जा रहा है और अन्य श्रम कानूनों का पालन भी नहीं हो रहा है। इससे औद्योगिक अशांति बढ़ रही है।
    
इंकलाबी मजदूर केंद्र के हरिद्वार प्रभारी पंकज कुमार ने कहा कि सिडकुल हरिद्वार में मजदूरों की ओर से एक शिकायत यह आ रही है कि उनके साथ धार्मिक तौर पर भेदभाव किया जा रहा है। मुस्लिम मजदूरों को कंपनियों में काम पर नहीं रखा जा रहा है एवं कुछ कंपनियों ने त्यौहारों की छुट्टी करने पर मुस्लिम मजदूरों को काम से निकाल दिया। यह एक गंभीर आपराधिक प्रवृत्ति है। श्रम विभाग को तत्काल इसे संज्ञान में लेना चाहिए। 
    
देवभूमि श्रमिक संगठन हिंदुस्तान यूनिलीवर के महामंत्री एवं संयुक्त मोर्चा के कोषाध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि अभी नये लेबर कोड्स लागू नहीं हुए हैं तब पूंजीपतियों की ये मनमानी दिख रही है जब नये लेबर कोड्स लागू होंगे तो मजदूर और गुलाम हो जायेंगे। 
    
भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के महामंत्री अवधेश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों को बेचकर निजी पूंजीपतियों को सौंप रही है। 
    
सीमेंस वर्कर्स यूनियन (सी एंड एस इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) के अशोक गिरी ने कहा कि हरिद्वार जनपद में मजदूरों को ओवर टाइम का सिंगल भुगतान, साप्ताहिक अवकाश न मिलना, वेतन की गणना 30 दिन में होना, श्रम कानूनों के अनुसार छुट्टियां नहीं मिलना, वेतन पर्ची से वंचित रखना, श्रमिक प्रतिनिधियों को जो 6 ई से संरक्षित हैं, उन्हें नौकरी से निकालना आदि श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन हो रहा है । 
    
एवरेडी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अमित कुमार चौहान ने कहा कि सिडकुल में मालिकों की एवं प्रबंधकों की सिडकुल एसोशिएसन है ठीक इसी तरह हमें भी पूरे सिडकुल के मजदूरों का एक संयुक्त मोर्चा बनाने की आवश्यकता है। 
    
कर्मचारी संघ सत्यम आटो के महिपाल ने कहा कि बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनियां भी पूरे महीने भर 12-12 घंटे मजदूरों से काम करा रही हैं तथा स्थाई मजदूर नाम मात्र के भी नहीं है। 
    
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की नीता ने कहा कि सिडकुल में महिलाओं को सस्ते श्रम के तौर पर 10-11 घंटे काम करा कर मात्र 6000 रु. दिया जा रहा हैं।
    
मजदूर रैली एवं सभा में फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी, देवभूमि श्रमिक संगठन (हिंदुस्तान यूनिलीवर), एवरेडी मजदूर यूनियन, सीमेंस वर्कर्स यूनियन (सी एंड एस इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड), प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, कर्मचारी संघ सत्यम आटो व एचएसएन वायोटेक दवा कम्पनी के दर्जनों मजदूर व प्रतिनिधि उपस्थित रहे।     -हरिद्वार संवाददाता

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को