विद्युत के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष

बीते दिनों उ.प्र. के लखनऊ मे विद्युत कर्मचारियों की बिजली पंचायत आयोजित की गयी। यह पंचायत उ.प्र.
बीते दिनों उ.प्र. के लखनऊ मे विद्युत कर्मचारियों की बिजली पंचायत आयोजित की गयी। यह पंचायत उ.प्र.
पंतनगर/ 37 दिनों तक आमरण अनशन पर रहने के बाद डालफिन के मजदूरों का संघर्ष भाजपा के प्रदेश मंत्री विकास शर्मा के आश्वासन के पश्चात 26 नवम्बर को समाप्त हो ग
बीते दिनों कुछ किसान संगठनों ने केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ दिल्ली मार्च का आह्वान किया था। जब 8 दिसम्बर को पंजाब से किसानों के कुछ जत्थों ने दिल्ली की ओर कूच कि
पंतनगर/ डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन और धरना 26 नवम्बर 2024 को भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा द्वारा मीडिया के समक्ष अनशनकारी महिलाओं सहित सभी मजदूरों क
मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी के नेतृत्वकारी मजदूर प्रदीप, जो धरना स्थल पर ही रह रहे थे, की 15 नवंबर को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। 23 नवंबर को मारुति सुजुकी मजदूरों के धरन
गुड़गांव/ दिनांक 24 अक्टूबर 2024 को बेलसोनिका मजदूरों का सामूहिक मांग पत्र पर त्रिवार्षिक समझौता (01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2025 तक) नई यूनियन बेलसोनिका
दिल्ली/ प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा महिला-मजदूरों पर बढ़ते शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ 10 नवंबर 2024, रविवार, को देश की राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन आयोज
फरीदाबाद/ 30 अक्टूबर की देर रात 2ः00 बजे से 17 वर्षीय किशोरी एसी नगर झुग्गी मजदूर बस्ती फरीदाबाद से संदिग्ध हालत में घर से लापता हो गई थी। परिवारजनों द्व
रामनगर/ दिनांक 8 नवम्बर 24 को गोविन्द देवी इंटर कालेज, बैलपोखरा कोटाबाग नैनीताल की प्रभारी प्रधानाचार्य श्रीमती इंदिरा जोशी ने 2 भोजनमाताओं को स्कूल से न
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।
पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता
इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है।
1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।