फासीवाद

भाजपा का जबरिया सदस्यता अभियान

बीते दिनों केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने अपना देशव्यापी सदस्यता अभियान चलाया। दावा किया गया कि 1 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक चले इस अभियान में 10 करोड़ लोगों को भाजपा का नया सदस्य बना लिया गया। पर कुछ वक्त बीतते-बीतते इस अभियान का पाखण्ड सबके सामने आने लगा। जगह-जगह से लोग बगैर उनकी सहमति लिये जबरन उन्हें भाजपा का सदस्य बनाने का आरोप लगाने लगे। भाजपा के पाखण्ड के शिकार लोगों की तादाद इतनी ज्यादा थी कि ‘द हिन्दू’ के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा ने इस पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट से भाजपा नेता तिलमि

बीते दिनों केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने अपना देशव्यापी सदस्यता अभियान चलाया। दावा किया गया कि 1 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक चले इस अभियान में 10 करोड़ लोगों को भाजपा

मोहन भागवत का नया लक्ष्य

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दशहरे पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जो भाषण दिया उसके निहितार्थ काफी घातक हैं। संघ ने बांग्लादेश-श्रीलंका सरीखे विद्रोह भारत में रोकने के लिए संघी संगठनों के लिए मुसलमानों

उत्तराखण्ड : संघ की नई प्रयोगशाला

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जब पुलिस खुद अपराध को संघी धार्मिक चश्मे से देखने लगे। जब प्रशासन से लेकर सरकार के मुखिया धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपराधी ठहराने में जुटे हों तब संघ-भाजपा के लिए समूचे प्र

मजदूरों-मेहनतकशों सावधान !

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आरएसएस-भाजपा की पूरी विचारधारा, सोच, राजनीति झूठ और फरेब से भरी है। इनका राष्ट्रवाद फर्जी सिद्धान्तों पर खड़ा है। और यह राष्ट्रवाद मजदूरों-मेहनतकशों के हितों के स्थान पर देशी-विदेशी पूंजी और भारतीय समाज के घोर प्रतिक्रियावादी तत्वों की रक्षा करता है। इनके राष्ट्रवाद की जो कोई गहराई से छानबीन करेगा वह पायेगा कि इसमें जातिवाद, नस्लवाद, मर्दवाद, धार्मिक पाखण्ड-प्रपंच, अन्य धर्मों के प्रति गहरी घृणा व आक्रामकता कूट-कूट कर भरी है। सरल शब्दों में इनके राष्ट्रवाद का मतलब- पाकिस्तान-बांग्लादेश के साथ रात-दिन अलग-अलग ढंग से मुसलमानों को गाली देना है।   

भइया ! इसे कहते हैं अक्ल बेचकर खाना

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अक्ल बेचकर कोई खायेगा तो इसका परिणाम क्या निकलेगा। दुनिया भर के पूंजीवादी नेताओं का यही हाल है। क्या हमारा देश और क्या इटली। हमारे देश में एक ओर बलात्कारियों के लिए आये द

खुशबूदार, जायकेदार बिरयानी और मुंह में लार व जुबान से जहर वाले

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बिरयानी का नाम सुनते ही कईयों की भूख खुल जाती है। मुंह में लार आने लगती है। बिरयानी चाहे कैसी भी हो ‘‘कच्ची’’ या ‘‘पक्की’’ या फिर वह मांसाहारी हो अथवा शाकाहारी या फिर वह

बिच्छू घास जो सीधी भी लगती है और उल्टी भी

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पहाड़ों में एक घास होती है जो दोनों ओर लगती है। सीधी भी उल्टी भी। इस घास को छूने या पकड़़ने से बिजली का करेण्ट सा लगता है। खुजली होती है और खुजली आसानी से मिटती नहीं है। बच

नवादा : दलितों के साथ यह हिंसा कब रुकेगी?

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18 सितम्बर को बिहार के नवादा जिले में दबंगों ने 80 महादलितों के घर फूंक दिये। नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र की कृष्णा नगर दलित बस्ती को दबंगां द्वारा न केवल आग के ह

एक देश एक चुनाव : फासीवादी परियोजना

/ek-des-ek-chunaav-phaaseevaadai-pariyojanaa-1

मोदी सरकार तेजी से एक देश एक चुनाव की ओर कदम बढ़ा रही है। हाल ही में उसने रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश को स्वीकार लिया। अब उम्मीद लगाई जा रही है कि अगल

वक्फ विधेयक : मुसलमानों पर संघी सरकार का एक और हमला

वक्फ सम्पत्ति कुप्रबंधन का हवाला दे वह इस सम्पत्ति को ही छीनने की मंशा से प्रेरित है

बीते दिनों मोदी सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संसद में पेश किया। फिलहाल यह विधेयक संसदीय समिति के पास चला गया है। जहां मोदी सरकार इस विधेयक को पास कराने पर उतारू है वहीं

आलेख

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।