जर्मनी में राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर ने देश की संसद को भंग कर दिया है। चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की सरकार के हाल में संसद में विश्वास मत खो देने के बाद यह घोषणा की गयी है। संसद हेतु नये चुनाव समय से 7 माह पूर्व 23 फरवरी, 2025 को कराये जाने की घोषणा हुयी है। चुनाव तक स्कोल्ज कार्यवाहक चांसलर बने रहेंगे।
जर्मनी में 2021 में हुए पिछले चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 206 सीटें हासिल हुयी थीं। इससे पूर्व तक सत्ता में रही रूढ़िवादी गठबंधन (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक गठबंधन व क्रिश्चियन सोशल यूनियन इन बावेरिया) को 197 सीटें मिली थीं। ग्रीन्स 118 सीटें व फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी 91 सीटें जीतने में सफल रही थीं। लेफ्ट पार्टी को 39 सीटें मिली थीं वहीं फासीवादी अल्टरनेटिव फार जर्मनी को 83 सीटें मिली थीं। चुनाव पश्चात सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, एफडीपी व ग्रीन्स का गठबंधन कायम हुआ था और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता स्कोल्ज चांसलर व एफडीपी के नेता क्रिश्चियन लिंडनर वित्तमंत्री बने थे।
जर्मनी में राजनैतिक संकट की शुरूआत नवंबर माह में ही हो गयी थी। तब चांसलर स्कोल्ज ने एफडीपी के नेता क्रिश्चियन लिंडनर को वित्तमंत्री पद से हटा दिया था। इसके बाद लिंडनर ने अपनी फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी के गठबंधन से हटने की घोषणा कर दी थी। इस घोषणा के बाद से ही स्कोल्ज सरकार अल्पमत में आ गयी थी।
इसके पश्चात जर्मन संसद बुंदस्ताग में 16 दिसम्बर को हुए विश्वास मत में स्कोल्ज को 733 सदस्यीय सदन में महज 207 सदस्यों का समर्थन मिला। 394 सदस्यों ने विरोध में मत दिया और 116 सदस्य मतदान से अनुपस्थित रहे। इस तरह स्कोल्ज सरकार अल्पमत में आ गयी।
दरअसल जहां फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी व्यवसाय व पूंजीपतियों की निर्लज्ज समर्थक पार्टी रही है वहीं सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी खुद को जनता परस्त दिखाते हुए पूंजीपतियों की सेवा करती रही है। सरकारी खर्च को लेकर दोनों पार्टियों में विवाद उत्पन्न हो गया था।
अब आगामी चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी स्कोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी और दक्षिणपंथी रुढिवादी गठबंधन (सी डी यू/सी एस डी) माने जा रहे हैं। रुढिवादी गठबंधन के नेता फ्रेडरिक मेर्ज के अगले चांसलर बनने का अनुमान लगाया जा रहा है। वर्तमान समय में यह दक्षिणपंथी गठबंधन सबसे अग्रणी पूर्वानुमानों में बताया जा रहा है। फासीवादी पार्टी अल्टरनेटिव फार जर्मनी दूसरे स्थान व सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी तीसरे स्थान पर बतायी जा रही है।
चुनावों में जहां स्कोल्ज जन राहत कार्यक्रमों व खर्च बढ़ाने का प्रचार कर रहे हैं वहीं मेर्ज खर्च बढ़ने से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ने की बात कर रहे हैं। मेर्ज यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को जर्मनी द्वारा घातक हथियार दिये जाने के समर्थक हैं वहीं स्कोल्ज इसे रूस से अनावश्यक तौर पर संबंध बिगाड़ने वाला कदम मानते हैं। इजरायल को हथियार देने के मामले में दोनों नेता एकमत रहे हैं।
इन दोनों नेताओं की टकराहट के बीच फासीवादी दल अल्टरनेटिव फार जर्मनी इनका समीकरण बिगाड़ सकता है। उसका अप्रवासी विरोध का मुद्दा क्रिसमस बाजार पर हाल में हुए हमले के बाद अधिक लोकप्रिय हो गया है। यद्यपि अभी आंकड़ों में यह पार्टी सत्ता तक पहुंचती नहीं दिख रही है पर किसी त्रिशंकु संसद की स्थिति में यह जोड़-तोड़ से सत्ता में पहुंच भी सकती है। इसका वोट प्रतिशत और सीटें दोनों बढ़़ने की संभावना है।
जर्मनी का राजनैतिक संकट कहीं न कहीं उसके आर्थिक संकट से जुड़ा हुआ है। बीते कुछ समय से जर्मनी की अर्थव्यवस्था आशानुरूप प्रदर्शन नहीं कर रही है और ऐसे में पूंजीवादी पार्टियों के बीच टकराव बढ़ गया है व फासीवादी दल अपनी लोकप्रियता बढ़ा रहा है। अमेरिकी चुनाव की तरह यहां भी एलन मस्क के फासीवादियों के पक्ष में भूमिका निभाने की आशंका है।