वि.वि. के संघर्षरत छात्रों का वक्तव्य

हम कोलंबिया में छात्र कार्यकर्ता हैं जो नरसंहार से मुक्ति की मांग कर रहे हैं।
    
हम मीडिया द्वारा उन भड़काऊ व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करने में निराश हैं जो हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। देश भर के विश्वविद्यालयों में, हमारा आंदोलन प्रत्येक मानव जीवन को महत्व देने के लिए एकजुट है।
    
राजनीति से प्रेरित भीड़ द्वारा हमारे सदस्यों की गलत पहचान की गई है। हमें प्रेस में लांछित किया गया, एनवाईपीडी द्वारा गिरफ्तार किया गया, और विश्वविद्यालय द्वारा हमारे घरों से बाहर निकाल दिया गया। हमने जानबूझकर खुद को खतरे में डाल दिया है क्योंकि हम अब कोलंबिया में हमारे ट्यूशन डालर को खर्च करने और उन कंपनियों को फंडिंग देने में शामिल नहीं हो सकते हैं जो मौत से लाभ कमाती हैं।
    
प्रेम और न्याय में एकजुट एक विविध समूह के रूप में, हम मांग करते हैं कि गाजा में फिलिस्तीनियों के सामूहिक नरसंहार के खिलाफ हमारी आवाज सुनी जाए। हम हर दिन भयभीत हो गए हैं, बच्चों को अपने मारे गए माता-पिता के शवों पर रोते हुए, परिवारों को खाने के लिए भोजन के बिना और डाक्टरों को बिना एनेस्थीसिया के आपरेशन करते हुए देखकर। हमारा विश्वविद्यालय इस हिंसा में शामिल है और यही कारण है कि हम विरोध करते हैं।
    
हम नफरत या कट्टरता के किसी भी रूप को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं और छात्रों-फिलिस्तीनी, मुस्लिम, अरब, यहूदी, काले और फिलिस्तीन समर्थक सहपाठियों और शहर के बीच बनाई जा रही एकजुटता को बाधित करने का प्रयास करने वाले गैर-छात्रों के खिलाफ सतर्क रहते हैं, जो हमारी संपूर्ण विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    
हम शांतिपूर्ण रहे हैं। हम मुक्ति की अपनी तलाश में नागरिक अधिकारों और युद्ध-विरोधी आंदोलनों के नक्शेकदम पर चलते हैं।
    
जब तक बल प्रयोग नहीं किया जाता या कोलंबिया हमारी मांगें नहीं मान लेता, हम यहीं रहेंगेः

1. फिलिस्तीन में इजरायली रंगभेद, नरसंहार और कब्जे में लाभ कमाने वाले निगमों से बंदोबस्ती सहित सभी वित्त को हटा दें। 

2. कोलंबिया के सभी वित्तीय निवेशों के लिए पूर्ण पारदर्शिता।

3. फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन में अनुशासित या नौकरी से निकाले गए सभी छात्रों और संकाय के लिए माफी।

आलेख

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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