सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स के मजदूरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के निकट श्रीपेरम्दुर में स्थित सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स के करीब 1500 स्थायी मजदूर 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ये मजदूर वेतन वृद्धि, यू
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के निकट श्रीपेरम्दुर में स्थित सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स के करीब 1500 स्थायी मजदूर 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ये मजदूर वेतन वृद्धि, यू
बीते दिनों देश के सभी प्रमुख अखबारों में खबर छपी कि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में बड़े पैमाने पर वृद्धि कर दी है। कुछ अखबारों ने तो मजदूरों की दिवाली खुशनुमा होने के
अमेरिका की तेल रिफाइनरी कम्पनी डेट्रोईट के 270 मजदूर अपने कांट्रेक्ट के नवीनीकरण के लिए 5 सितम्बर से हड़ताल पर चले गये हैं। ज्ञात हो कि इन मजदूरों का कांट्रेक्ट 31 जनवरी 2
एक तरफ जहां इजराइल की कम्पनियों द्वारा भारतीय कामगारों की कुशलता पर प्रश्न चिह्न उठाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इजराइल के दूतावास ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा है कि भारत और इ
बुद्धिजीवी लोग संविधान और लोकतंत्र को मासूम बच्चों की तरह लागू मानकर चुनाव के मौजूदा दौर पर भविष्यवाणियां कर रहे हैं। ये बुद्धिजीवी चाहते हैं कि कोई ऐसी पार्टी सत्ता में
मजदूरों व मजदूर यूनियनों के बीच लेबर कोड्स का हमला प्रतिरोध का कोई विषय नहीं बन पा रहा है। मजदूर यूनियनें लेबर कोड्स को मजदूरों पर हमले के रूप में नहीं ले पा रही हैं। औद्
मोदी सरकार ने अगस्त, 2023 के संसद सत्र में आपराधिक कानूनों से संदर्भित तीन विधेयकों को पास किया था। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में इन विधेयकों को पास कराते समय बोला था कि
भारत में बेरोजगारी का आंकड़ा आजादी के बाद सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा हुआ है। बेरोजगारी विस्फोटक रूप ले चुकी है इसका प्रमाण जब-तब देखने को मिलता रहता है। अभी हाल में गुजरात के
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मजदूर विरोधी 4 श्रम संहितायें लागू करने की कवायद तेज हो गयी है। इन संहिताओं को देश की संसद 2019 व 2020 में ही पारित कर चुकी है पर मजदूर व
देश में औद्योगिक क्षेत्रों में लग रही आग का सिलसिला रुक नहीं रहा है। इसी कड़ी में गुड़गांव में दौलताबाद इंडस्ट्रियल एरिया में फायर एंड पर्सनल सेफ्टी इंटरप्राइजेज़ में आग लग
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।
पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता
इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है।
1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।