यूरोप : बढ़ता वर्ग संघर्ष

फ्रांस : पेंशन सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन जारी

फ्रांस में सेवा निवृत्ति की उम्र 62 से 64 वर्ष करने के पेंशन बिल के खिलाफ मजदूरों-मेहनतकशों का संघर्ष जारी है। हर हफ्ते लाखों की तादाद में मजदूर-कर्मचारी समूचे फ्रांस में प्रदर्शन कर रहे हैं।

सेवानिवृत्ति की उम्र 2 वर्ष बढ़ाने से सरकार को 17.7 अरब यूरो का पेंशन फण्ड में अतिरिक्त लाभ होगा। अभी तक 4 राउण्ड के प्रदर्शन हो चुके हैं। चौथा प्रदर्शन 11 फरवरी 2023 को हुआ जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। अगला प्रदर्शन 16 फरवरी को होना है।

यू.के. : आम हड़ताल

1 फरवरी को यू.के. के ढेरों क्षेत्रों के लगभग 5 लाख मजदूर कम मजदूरी बुरी कार्यunited kingdom demonstration परिस्थितियों व पेंशन को लेकर हड़ताल पर चले गये। शिक्षा विभाग व परिवहन विभाग के कर्मियों ने हड़ताल में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभाई। इससे पूर्व यू.के. नर्सों की हड़ताल के चलते लगातार चर्चा में रहा था। यूरोप में बढ़ रही महंगाई के चलते मजदूरों-कर्मचारियों का जीवन स्तर गिरता जा रहा है। यह हड़ताल गिरते जीवन स्तर के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति थी। यू.के. के लिए 2023 बीते 34 वर्षों में सबसे ज्यादा हड़तालों का वर्ष होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

आलेख

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को