
जब से संघ ने अपनी पोशाक खाकी नेकर की जगह भूरी पेंट कर ली, तब से मानो संघ ने कुछ नये निर्देश भी अपनी सरकारों को दे दिये। इन निर्देशों में शायद यह भी था कि मोहन भागवत हिन्दू भावना के प्रतीक हैं इसलिए उनका कोई मजाक, विरोध स्वीकार्य नहीं होगा। इसके साथ ही शायद यह भी कहा गया होगा कि भूरी पेंट भी हिन्दू प्रतीक है और भविष्य में इसका राष्ट्रध्वज की तरह सम्मान हो।<br />
यह सब बातें इसलिए की जा रही हैं कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश पुलिस ने एक ऐसा कारनामा अंजाम दिया कि मोहन भागवत खुश हो कहीं म.प्र. पुलिस को संघ का नया संगठन ही घोषित न कर दें। घटना कुछ इस तरह है कि म.प्र. में संघ द्वारा ड्रेस बदलने पर किसी ने मोहन भागवत की स्त्रीनुमा तस्वीर भूरी पेंट में बना सोशल मीडिया पर डाल दी। म.प्र. के दो युवकों बन्थिया (22वर्ष) व वसीम शेख (21वर्ष) ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। बस फिर क्या था संघ की नयी वाहिनी बनी म.प्र. पुलिस ने झटपट इन दोनों नौजवानों पर संगीन केस दर्ज कर इन्हें जेल में ठूंस दिया। <br />
बन्थिया को गोगावा थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया तो शेख को कोतवाली की पुलिस ने गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ एफ.आई.आर. लिखाने वाले रजनीश निम्बालकर का कहना था कि इन्होंने हिन्दुओं की भावना का अपमान किया है क्योंकि भागवत हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधि हैं। इन पर आई.टी. एक्ट के सेक्शन 67 और आई.पी.सी. के सेक्शन 505(2) के तहत मुकदमा कायम किया गया। धारा 67 जहां इलेक्ट्रानिक फार्म में आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार पर लगायी जाती है वहीं 505(2) ऐसे वक्तव्य देने पर जो परस्पर घृणा, हिंसा पैदा करने वाले हों, पर लगायी जाती है। <br />
गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट आई.टी.एक्ट की धारा 66ए को रद्द कर चुकी है। कोर्ट ने इस धारा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना था। परन्तु कानून की तमाम दूसरी धाराओं की मदद से अभिव्यक्ति का गला कैसे घोंटा जा सकता है, इसका उदाहरण म.प्र. पुलिस ने उपरोक्त मामले में पेश कर दिया।<br />
महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक हिन्दू देवी-देवताओं का व्यंग्य चित्र बनाने पर ही संघी लाॅबी हिन्दू भावना के आहत होने का आरोप लगाती थी। परन्तु अब लगता है संघ ने अपने बढ़ते प्रभाव के चलते संघ प्रमुख का प्रमोशन कर उन्हें देवी-देवता की श्रेणी में शामिल कर दिया है। यानि मान लिया कि मोहन भागवत अब जीते जी हिन्दू देवता बन चुके हैं। अब चूंकि आज मोहन भागवत हिन्दू देवता करार दिये गये हैं इसीलिए कल संघ को ही हिन्दू धर्म करार दिया जाना स्वाभाविक है। यानि अब से संघ व उसके सर संघचालक का मजाक उड़ाना, विरोध करना अपराध करार दिया जायेगा। <br />
मोहन भागवत का यह प्रमोशन करने के साथ ही मध्य प्रदेश पुलिस ने अपना भी प्रमोशन कर दिया है। उसे अब देश के कानून से ज्यादा संघ का कानून रास आने लग गया है। अब वह देश के बजाय संघ के प्रति निष्ठावान होने में गर्व महसूस करने लगी है। <br />
यही वजह है कि जब-जब भी मोहन भागवत मुंह खोलते हैं तो भारतीय संविधान की धर्म निरपेक्षता की बातों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हैं। खुलेआम देश को हिन्दू राष्ट्र करार देते हैं। दूसरे धर्मों के लोगों के खिलाफ ही नहीं, दलितों-महिलाओं के खिलाफ भी जहर उगलते हैं। पर अफसोस म.प्र. ही नहीं देश की किसी थाने की पुलिस को कानून टूटता नजर नहीं आता। परन्तु जब कोई इसी कानून को धता बताने वाले का अपमान करता है तो पुलिस ऐसे सक्रिय हो जाती है, मानो मोहन भागवत ही कानून हो।<br />
पुलिस प्रशासन व संघ की यह कारस्तानी देश की मेहनतकश अवाम के जनवादी हकों को छीनने की भी साजिश है। सरकार देश की जनता से सरकार की आलोचना, बिना भय अभिव्यक्ति का हक छीन लेेने पर उतारू है। और वह ऐसा कानून बदले बगैर उनकी व्याख्या बदल कर करने पर उतारू हैं। <br />
म.प्र. सरकार की इन कारस्तानियों से यह भी साबित होता है कि संघ अपने कर्मों से देश की मेहनतकश जनता के दिलों में जगह बनाना तो दूर अपने लिए घृणा ही पैदा कर रहा है ऐसे में संघ, उसके नेता को ही धर्म व आस्था का प्रतीक घोषित कर ही संघ को समाज में स्वीकार्यता हासिल हो सकती है। संघी लाॅबी यही कर रही है। <br />
परन्तु यह लाॅबी यह भूल जाती है कि धर्म व आस्था का प्रतीक बनकर मेहनतकश जनता को बहुत दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। और जब अंधविश्वास का यह पर्दा हट जायेगा तो देश की जनता तर्क करेगी और संघ को धर्म की पदवी से उतार इतिहास के कूड़ेदान में पहुंचा देगी।