न्यूनतम वेतन लागू करने को लेकर उत्तराखण्ड के मजदूर सड़कों पर

मजदूरों का वेतन जो बढ़ा है वो सिडकुल में कम्पनी मालिक नहीं दे रहे हैं। कैम्पस फुटवियर कम्पनी सिडकुल, हरिद्वार के मजदूर भी वेतनवृद्धि को लेकर व अन्य मुद्दों को लेकर दो-तीन दिनों से कम्पनी प्रबंधन के सामने रखने लगे थे। लेकिन काम से निकाल देने की धमकी से मजदूर डर जा रहे थे। लेकिन मजदूरों ने एकता बनानी शुरू कर दी थी। जैसे ही वेतन खाते में आया तो बढ़ कर नहीं आया। मजदूरों का गुस्सा फूटा और 8 मई की सुबह कम्पनी गेट पर जमा हो गए और उसके बाद श्रम विभाग को जुलूस निकालते हुए पहुंचे।
    
मजदूरों का कहना था कि जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है हम यहां से हिलेंगे नहीं। दोपहर बाद कम्पनी प्रबंधन आया तो इंकलाबी मजदूर केंद्र के प्रतिनिधि व मजदूर अंदर गये। सहायक श्रम अधिकारी से वार्ता हुई। वार्ता में वेतन वृद्धि, महीने में छुट्टियां, श्रम कानून के अनुसार दो गेट पास और डबल ओवरटाइम आदि मांगों को मनवाने में कामयाब हुए। साथ ही प्रबंधन मजदूरों से बदतमीजी से पेश नहीं आयेगा। ये सारी मांगें लिखित में मजदूरों ने हासिल कीं। हालांकि इन मजदूरों को बोनस भी तय वेतन में ही मिलता है, इस मांग को भी आगे बात करने के लिए प्रबंधन ने हामी भरी है।
    
कैम्पस कम्पनी में लगभग 1000 मजदूर काम करते हैं जिसमें महिला मजदूरों की संख्या आधी है। कोई मजदूर स्थायी नहीं है। सारे मजदूर ठेके पर रखे गए हैं। लेकिन इन मजदूरों से मशीनों का संचालन करवाया जाता है। कम्पनी मालिक श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है।
    
हरिद्वार में 9 मई 2024 को रिलैक्सो व आइको कम्पनी के मजदूरों ने वेतन वृद्धि के साथ अन्य श्रम अधिकारों की मांगों को लेकर श्रम विभाग का घेराव किया। संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के पदाधिकारियों ने भी मजदूरों के संघर्ष का समर्थन किया। 
    
9 मई को रिलैक्सो फुटवियर के मजदूरों ने जुलूस निकाला और 4-5 घंटे श्रम अधिकारियों का घेराव कर जमकर नारेबाजी की और 5 लोगों की कमेटी के माध्यम से लिखित में वेतन वृद्धि एवं अन्य मांगें मनवायीं। 
    
आईको लाईटिंग कम्पनी एलईडी बल्ब बनाती है। यहां अधिकांश महिला मजदूर हैं। यहां से सैकड़ों महिला मजदूरों ने सिडकुल में नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला और बाद में एक पांच सदस्यीय कमेटी के माध्यम से लिखित में समझौता करवाया। 
    
दोनों कम्पनियों में 9 मई के प्रदर्शन करने पर श्रम विभाग में यह समझौता हुआ कि बड़ा हुआ वेतन सभी मजदूरों को मिलेगा और किसी मजदूर को कम्पनी से नहीं निकाला जायेगा। 
    
इसके अलावा मजदूरों को साप्ताहिक छुट्टी दी जायेगी। ईएल, सीएल की छुट्टी एवं ओवर टाईम का डबल भुगतान दिया जायेगा।
    
11 मई 2024 को सिडकुल (हरिद्वार) के आटोमेट इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के मजदूर वेतन बढ़ कर ना मिलने पर सुबह कम्पनी गेट पर जमा हो गए। दो घंटों तक काम बंद रहा। मजदूरों ने कहा कि जब तक वेतन बढ़कर नहीं मिलेगा वे कम्पनी के अंदर नहीं जाएंगे। मजदूर श्रम विभाग जाना चाहते थे लेकिन छुट्टी थी। प्रबंधन वर्ग द्वारा आश्वासन दिया गया कि आप सभी की सैलरी बढ़ कर मिलेगी तब मजदूर काम पर गये। 
    
14 मई को सुबह 7 बजे शिवम आटो के 1000 से अधिक दोनों शिफ्ट के मजदूर बढ़े हुए वेतन वृद्धि एवं ओवर टाईम का दुगुना, आदि मांगों को लेकर पूरे सिडकुल में जुलूस निकाल कर श्रम विभाग गये। 
    
एकम चौराहे से आर एस फुटवियर के 250 मजदूर भी संघर्ष में शामिल हो गये। आर एस फुटवियर कम्पनी की महिला मजदूरों को 8 घंटे में मात्र 6000 रुपये दिये जाते हैं कोई अन्य श्रम कानून भी लागू नहीं हैं। श्रम विभाग में छुट्टी होने के कारण समाधान नहीं निकल पाया। मजदूरों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी और श्रम अधिकारियों को बुलाने पर अड़े रहे।
    
10 मई 2024 को उत्तराखंड के सिडकुल पंतनगर ऊधम सिंह नगर स्थित बाइला कंपनी जो सेक्टर 2 में है और दवा बनाती है, के मजदूरों ने बढ़ा हुआ वेतन न मिलने पर काम बंद कर दिया। यहां पर ठेका मजदूरों को साल भर में 4 महीने का ब्रेक दिया जाता है। न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जाती है। ओवरटाइम का दुगना भुगतान नहीं दिया जाता है। मशीनों पर गैर कानूनी तौर पर ठेका मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। महिला मजदूरों से जुड़ी समस्याएं भी मौजूद हैं।
    
उत्तराखंड सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन में की गयी बढ़ोत्तरी को मालिकों द्वारा लागू न करने के कारण आये दिन औद्योगिक क्षेत्र में मजदूर या तो काम बंद कर दे रहे हैं या फिर अपनी मांगों को लेकर श्रम विभाग पहुंच जा रहे हैं। वेतन वृद्धि के लिए ही सही उत्तराखण्ड में मजदूर आंदोलन में नई सुगबुगाहट दिखाई दे रही है।     -विशेष संवाददाता
 

आलेख

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।