प्रज्ञा ठाकुर अपने बयानों को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने लव जिहाद की ओर इशारा करते हुए हिन्दू समुदाय के लोगों को अपनी बेटियों की रक्षा के लिए घर में हथियार रखने या चाकू तेज करने को कहा। उनका इशारा स्पष्ट रूप से यह था कि हिन्दू समुदाय के लोग अपने घर में हथियार रखकर मुस्लिमों का मुकाबला करें। स्पष्ट तौर पर यह खुलेआम साम्प्रदायिक हिंसा का आह्वान था।
हमेशा की तरह कांग्रेस व विपक्षी पार्टियां प्रज्ञा ठाकुर पर कार्यवाही की मांग कर रही हैं व भाजपाई प्रज्ञा ठाकुर का बचाव कर रहे हैं। भाजपाईयों के अनुसार प्रज्ञा बेटियों की रक्षा हेतु आत्मरक्षा में लोगों को तैयार रहने का संदेश दे रही थीं।
यह पहली बार नहीं है जब प्रज्ञा ठाकुर इस तरह की बयानबाजी कर रही हैं। इससे पूर्व वे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता चर्चा में आ चुकी हैं। प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम ब्लास्ट की प्रमुख आरोपी हैं। 24 सितम्बर 2008 को हुए इस बम ब्लास्ट में मालेगांव में मुस्लिम इलाके में 6 लोग मारे गये थे और 101 घायल हुए थे। इस बम ब्लास्ट के लिए जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी। बीते 14 सालों से इस बम ब्लास्ट की जांच का प्रहसन चल रहा है और प्रज्ञा को आरोपों से मुक्त करने के लिए सारी तीन तिकड़में की जाती रही हैं। 2019 में भाजपा ने प्रज्ञा को लोकसभा चुनाव में खड़ा कर और भारी जीत के साथ संसद पहुंचा साबित कर दिया कि संघ-भाजपा में हिन्दू आतंकियो की कितनी इज्जत है।
दरअसल प्रज्ञा ठाकुर हिन्दू फासीवादी संघ-भाजपा की नयी रोल मॉडल हैं। एक आतंक की आरोपी को सांसद बना, उसके भड़काऊ बयानों का लगातार बचाव कर संघी ताकतें नौजवान पीढ़ी को यही संदेश दे रही हैं कि हिन्दू राष्ट्र की खातिर दंगे करने, आतंकी घटनायें करने, बलात्कार करने वाले सभी लोगों की संघ-भाजपा रक्षा करेगी। पिछले दिनों संघ-भाजपा का कुल व्यवहार इसी बात को साबित करता है। मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपियों की रक्षा, अखलाक के हत्यारों की रक्षा, मॉब लिंचिंग के आरोपियों का फूलमाला से स्वागत, बिलकिस के बलात्कारियों की समय पूर्व रिहाई व स्वागत के साथ प्रज्ञा को सांसद बनाना संघ-भाजपा के ऐसे कारनामे हैं जो बताते हैं कि संघी कैसी नई हिन्दू पीढ़ी तैयार करना चाह रहे हैं।
इस मामले में भी संघ-भाजपा हिटलर के दिखाये रास्ते पर चल रहे हैं। वे हिटलर के हत्यारे गैंग की तरह भारत में भी हिन्दू गैंग तैयार कर रहे हैं। बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद के युवाओं में बढ़ती आक्रामता को ये उस स्तर तक उठाना चाहते हैं जहां ये युवा हत्यारों-बलात्कारियों के गिरोह में बदल जायें और अपनी करतूतों को धर्म रक्षा-राष्ट्र रक्षा समझने लग जायें। एक हद तक संघी अपने इस अभियान में सफल हुए हैं।
जरूरत है कि संघ-भाजपा की इस कुत्सित मुहिम का पुरजोर विरोध किया जाये। समाज में यह स्थापित किया जाये कि हत्या-बलात्कार से न तो धर्म की रक्षा होती है न देश रक्षा। कि संघी ताकतें एकाधिकारी पूंजीपतियों अम्बानी-अडाणी के हित में देश को अंधी गली में ले जा रही हैैं। उनके पास युवाओं के लिए रोजगार तो है नहीं, इसलिए वे हाथ में तलवार थमा उन्हें साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने की ओर धकेल रहे हैं। वे समूची हिन्दू आबादी के आगे प्रज्ञा ठाकुर, एक आतंकी घटना की आरोपी को मॉडल के बतौर पेश कर रहे हैं। आज जरूरत इस बात को समझने की है कि युवाओं का रोल मॉडल प्रज्ञा ठाकुर नहीं क्रांतिकारी भगत सिंह होने चाहिए। हिन्दू-मुस्लिम युवाओं-मेहनतकशों का एकजुट संघर्ष ही संघ-भाजपा के नापाक इरादों के साथ प्रज्ञा सरीखे मॉडलों को भी धूल चटा सकता है।