निःशुल्क-वैज्ञानिक-तार्किक शिक्षा की मांग और शिक्षा के भगवाकरण के खिलाफ
दिल्ली/ दिनांक 19-20 अक्टूबर, 2024 को दिल्ली के मलकागंज स्थित जवाहर नगर सामुदायिक केंद्र में परिवर्तनकामी छात्र संगठन का 12वां सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। तीन वर्षों में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में संगठन ने विस्तृत चर्चा के बाद अपनी राजनीतिक रिपोर्ट और सांगठनिक रिपोर्ट को पास किया। साथ ही सम्मेलन में संगठन ने अलग अलग विषयों पर 8 प्रस्तावों को पारित किया।
19 तारीख की सुबह झंडारोहण और अध्यक्षीय भाषण के साथ सम्मेलन की शुरुआत हुई और दिन भर राजनीतिक रिपोर्ट के तीन हिस्सों अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति, राष्ट्रीय परिस्थिति और शिक्षा एवं छात्र जगत पर बातचीत हुई।
अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि आज दुनिया के 50 से अधिक देश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से युद्धों में घिरे हुए हैं जिनका असर पूरी ही दुनिया पर पड़ रहा है और पूंजीपति इन युद्धों से मुनाफा कमा रहे हैं, गरीब मेहनतकश जनता इन युद्धों की मार झेल रही है।
राष्ट्रीय परिस्थिति पर सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि आज देश में संघ-भाजपा की अगुवाई में हिंदू फासीवाद मजबूत हो रहा है। देश की सारी संस्थाओं पर फासीवादियों का कब्जा है। राज्य मशीनरी के सारे अंग पूंजीपतियों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए देश के मेहनतकश मजदूरों पर आर्थिक हमला बोल रहे हैं। और संघ-भाजपा के लंपट संगठन इन आर्थिक हमलों से ध्यान भटकाने के लिए अल्पसंख्यकों को दुश्मन के बतौर पेश करते हैं, पिछले 3 सालों में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ते रहे हैं।
शिक्षा एवं छात्र जगत पर बात करते हुए सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले तीन सालों में जब से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 लागू की गयी है उसको तेजी से पूंजीपतियों के पक्ष में लागू किया जा रहा है, तो उसका छात्र और शिक्षा विरोधी चरित्र उभरकर सामने आ रहा है। ये नीति दो दिशाओं में काम कर रही है। एक तरफ तो ये शिक्षा के निजीकरण को बढ़ा रही है तो दूसरी तरफ शिक्षा के भगवाकरण को बढ़ा रही है। रोजगार की स्थिति देश में बहुत खस्ताहाल है। देश में एक के बाद एक पेपर लीक हो रहे हैं। इसके खिलाफ छात्रों ने संघर्ष किया है और सरकार ने छात्रों का भयंकर दमन किया है।
सम्मेलन में शहीदों को श्रद्धांजलि, फिलिस्तीन पर अमेरिकी साम्राज्यवादियों की शह पर इजरायल के हमले के विरोध में, जन संघर्षों में छात्रों-नौजवानों की बहादुराना भूमिका, बढ़ते हिंदू फासीवाद के खिलाफ, बढ़ती महिला हिंसा के खिलाफ, शिक्षा के बढ़ते भगवाकरण के खिलाफ, बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में और देश में लगातार हो रहे पेपर लीक के खिलाफ अलग-अलग 8 प्रस्ताव पारित किए गए।
19 अक्टूबर की रात में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या में क्रांतिकारी गीत, नाटक, नृत्य नाटिका, कविता पाठ आदि शानदार प्रस्तुतियां हुईं।
अगले दिन 20 अक्टूबर को संगठन की सांगठनिक रिपोर्ट पेश की गई और संगठन के नए नेतृत्व का चुनाव किया गया। सांगठनिक रिपोर्ट पर बात करते हुए संगठन के आगामी 3 सालों की नई कार्यदिशा को तय किया गया। नए नेतृत्व का चुनाव करते हुए सम्मेलन में दिल्ली इकाई के महेंद्र को अध्यक्ष और हल्द्वानी इकाई के महेश को महासचिव चुना गया। इसके साथ ही 21 सदस्यीय सर्वोच्च परिषद और 7 सदस्यीय केंद्रीय कार्यकारिणी का चुनाव सम्मेलन में किया गया।
दोपहर 2 बजे से सम्मेलन का खुला सत्र अध्यक्षीय भाषण के साथ शुरू हुआ। खुले सत्र में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए छात्र, मजदूर, युवा, महिला, जनवादी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी और पछास को सफल सम्मेलन की बधाई दी। आखिर में दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ एक जोशीला जुलूस निकाला गया। उसके बाद क्रांतिकारी गीतों और जोशीले नारों के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।
पछास के 12वें सम्मेलन में संगठन की दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से अलग-अलग इकाइयों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
सम्मेलन के खुले सत्र के दौरान इंकलाबी मजदूर केन्द्र, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन, कलेक्टिव, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, नौजवान भारत सभा, क्रांतिकारी युवा संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, प्रोगेसिव डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन, प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच, बेलसोनिका मजदूर यूनियन, इफ्टू सर्वहारा संगठनों के प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।
-दिल्ली संवाददाता