20 से 23 अगस्त तक धरना और 29 अगस्त को महा पंचायत की घोषणा
पूछडी, रामनगर (नैनीताल) के ग्रामीणों ने अतिक्रमण के नाम पर उनके घर तोड़े जाने की कोशिशों के विरोध में 15 अगस्त : स्वतंत्रता दिवस के दिन एक दिवसीय भूख हड़ताल कर सरकार के विरुद्ध अपना आक्रोश प्रदर्शित किया। इस दौरान ग्रामीणों ने सवाल खड़ा किया कि प्रधानमंत्री मोदी हर घर तिरंगा लहराने की बात कर रहे हैं लेकिन जब हमारे घर ही नहीं बचेंगे तो फिर तिरंगा कहां लहरायेंगे?
गौरतलब है कि वन विभाग से अतिक्रमण के नाम पर 700 से अधिक घरों को नोटिस प्राप्त होने के बाद पूछडी, नई बस्ती और कालूसिद्ध के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। उनका कहना है कि वे पीढ़ियों से इन वन ग्रामों में रह रहे हैं; उनके घरों में बिजली-पानी के कनेक्शन हैं; सरकारी स्कूल भी यहां मौजूद हैं और सभी जरुरी प्रमाण पत्र- आधार कार्ड, वोटर कार्ड इत्यादि भी उनके पास हैं; हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां उनसे वोट हासिल करती हैं, इस सबके बावजूद हमें अतिक्रमणकारी बता कर उजाड़ने की साजिश की जा रही है, जिसे वे सफल नहीं होने देंगे।
इससे पूर्व 14 अगस्त को भी सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने डी एफ ओ कार्यालय एवं एस डी एम कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने अथवा उजाड़ने से पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग को उठाया था। इसी दौरान 15 अगस्त : स्वतंत्रता दिवस के दिन लखनपुर क्रांति चौक पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की घोषणा की गई थी, जिसमें पुन: सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने शामिल होकर संघर्ष के अपने इरादों को जाहिर कर दिया है।
ग्रामीणों द्वारा अपने आक्रोश को व्यवस्थित आंदोलन का रूप देते हुये अब 20 से 23 अगस्त तक प्रतिदिन लखनपुर क्रांति चौक पर धरना देने की घोषणा की गई है। साथ ही, 29 अगस्त को पूछडी में उत्तराखंड स्तरीय महापंचायत का आयोजन कर संघर्ष को व्यापक बनाया जायेगा।
विरोध-प्रदर्शन के दौरान विभिन्न क्रांतिकारी गीत- ये आजादी झूठी है, लुटेरों की चांदी है; घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिये; रहनों को घर नहीं है, हिन्दोस्तां हमारा... गाये गये। इस दौरान सभा भी जारी रही जिसमें वक्ताओं ने कहा कि आज पूरे ही देश की मजदूर-मेहनतकश जनता फासीवादी सरकार के बुल्डोजर के आतंक से त्रस्त है और इसके विरुद्ध संघर्ष कर रही है। पिछले समय में हल्द्वानी के बनभूलपुरा को भी उजाड़ने की साजिश की गई थी, लेकिन वहां के नागरिकों के जुझारु संघर्ष के परिणामस्वरुप उन्हें न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त हुआ अपितु हाल ही में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि वहां के निवासियों को हटाने से पूर्व उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाये। यह बनभूलपुरा के निवासियों के संघर्ष की जीत है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले अपने आप में कानून होते हैं, ऐसे में पुनर्वास की व्यवस्था किये बिना पूछडी में लोगों को उजाड़ने की कोशिश न्यायालय की भी अवमानना है।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी-धामी की डबल इंजन की सरकार अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़कर उनकी जमीनों को पूंजीपतियों और होटल रिसोर्ट लॉबी के हवाले कर देना चाहती है, ताकि उत्तराखंड को एक पर्यटक राज्य के रुप में विकसित किया जा सके। मजदूर-मेहनतकश जनता को उजाड़कर होने वाले इस पूंजीवादी विकास का हर संभव प्रतिरोध करना होगा।
भूख हड़ताल, विरोध-प्रदर्शन और सभा में ग्रामीणों, महिलाओं एवं नौजवानों के साथ उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, समाजवादी लोक मंच, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, महिला एकता मंच, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन इत्यादि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी की।
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