काप-29 : जलवायु परिवर्तन रोकने का ढकोसला
11-12 नवम्बर तक चलने वाला काप-29 सम्मेलन अजरबैजान के बाकू में शुरू हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में हर वर्ष होने वाले इस सम्मेलन के ट्रम्प के राष्ट्रपति चु
11-12 नवम्बर तक चलने वाला काप-29 सम्मेलन अजरबैजान के बाकू में शुरू हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में हर वर्ष होने वाले इस सम्मेलन के ट्रम्प के राष्ट्रपति चु
बीते दिनों जब संयुक्त राष्ट्र की 79वीं आम सभा में इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपना भाषण दे रहे थे। जब वे लेबनान से लेकर ईरान को गुण्डों सरीखी भाषा में धमका रहे थे। ठीक
जार्डन की राजशाही इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों के नरसंहार और विनाश में साझीदार बनी हुई है वहीं जार्डन की जनता फिलिस्तीनियों के ऊपर किया जा रहे अत्याचारों के विरोध में अधिक
इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि नाटो के इस शिखर सम्मेलन में रूसी और चीनी साम्राज्यवादियों के साथ प्रतिद्वन्द्विता में अमरीकी साम्राज्यवादियों ने नाटो की मदद से नाटो को न सिर्फ अपने को यूरोप तक सीमित रखने तक बल्कि उसका विस्तार वैश्विक पैमाने पर, विशेष तौर पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र तक करने का संकल्प दोहराया है।
8 जून को इजराइल ने गाजा स्थित नुसेरात शरणार्थी शिविर पर अब तक का सबसे क्रूर हमला किया। इस हमले में लगभग 280 फिलिस्तीनी मारे गये व 600 घायल हो गये। गौरतलब है कि 7 अक्टूबर
न्यू कैलेडोनिया द्वीप समूह दक्षिण प्रशांत सागर में स्थित है। यह फ्रांसीसी शासन के अंतर्गत है। यहां के मूलवासी मुख्यतः कनक हैं जो यहां की आबादी का लगभग 42 प्रतिशत है। फ्रा
अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।
18 अप्रैल से कोलंबिया विश्वविद्यालय में भड़की चिंगारी दावानल बनती जा रही है। अमेरिका के तमाम विश्वविद्यालयों में फैलते हुए ज्वाला यूरोप के विश्वविद्यालयों तक पहुंच चुकी है
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को