फरीदाबाद/ आज हिंदू फासीवादी जिस हिंदू राष्ट्र को बनाने की बात कर रहे हैं, उसकी छोटी-बड़ी झलकें आज भारत में घट रही घटनाओं में देखी जा सकती हैं। इसी कड़ी में हरियाणा के फरीदाबाद जिले से सटे मेवात के एक गांव खोरी जमालपुर में घटी घटना को देखा जा सकता है।
मेवात मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। खोरी जमालपुर या आस-पास के दर्जनों गांव में मुस्लिम आबादी अधिक संख्या में है। पिछली लगभग 4 पीढ़ियों से हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग अमन-चैन से एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ देते हुए साथ मिलकर ही त्यौहार मनाते हुए जीते रहे हैं।
ईद के अगले दिन 30 जून 2023 को हिंदू फासीवादियों द्वारा पाले-पोसे जा रहे कुख्यात बदनाम बिट्टू बजरंगी द्वारा कुछ नौजवानों के साथ खोरी जमालपुर के जमात अली के घर लूटपाट को अंजाम दिया जाता है। इसमें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नारे लगाते हुए, जय श्री राम का उद्घोष करते हुए 56 गाय 17 बकरियां और 6 गधों की लूटपाट होती है। जिस समय इस लूटपाट की कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा था उस समय घर में बच्चों के साथ सिर्फ महिलाएं ही मौजूद थीं। 2 जुलाई को इस घर की एक बेटी की शादी होनी थी जिसके इंतजाम के लिए घर के लगभग सभी पुरुष घर पर मौजूद नहीं थे।
बिट्टू बजरंगी और इसके चेले-चपाटों ने नौजवानों को उन्मादी भीड़ बनाने के लिए इस परिवार पर झूठा आरोप लगाया कि यह गौ हत्या करते हैं, इसी उन्माद में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। बल्कि यह परिवार और इन दर्जनों गांव में रहने वाले कई परिवार कई पीढ़ियों से गौपालक रहे हैं और गाय का दूध बेचकर अपने परिवारों का भरण-पोषण करते रहे हैं। जमात अली का आज भी रोते हुए यही कहना है कि मुझे सबसे बड़ा दुख इस बात का लगा है कि मुझ पर गौ हत्या का आरोप लगाया जा रहा है, यह सरासर झूठ है।
स्थानीय पुलिस चौकी पर जब मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी शिकायत लेकर आते हैं तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाती है। बिट्टू बजरंगी के खिलाफ 2 जुलाई को धौज थाने में जब मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी शिकायत लेकर आते हैं तो वहां पहले से ही मौजूद बिट्टू बजरंगी व उसके चेले-चपाटे थाने में ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ गाली-गलौज और गुंडागर्दी करनी शुरू कर देते हैं। इसी समय वहां सोशल मीडिया के कई चैनल वाले भी मौजूद थे। इनके द्वारा की गयी यह कार्रवाई सोशल मीडिया के कैमरों में कैद है और सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर घूम रही है।
3 जुलाई देर शाम को भारी दबाव के बाद एफ आई आर दर्ज होती है जिसमें 7 लोगों नामजद बिट्टू बजरंगी, गोपाल, पंकज जैन, अनूप, मोनू, सत्येंद्र, मोती खटाना और 50 लोग गैर नामजद हैं। परंतु कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि बिट्टू बजरंगी फरार है और बिट्टू बजरंगी का कहना है कि मुझे जिहादियों से खतरा है, मुझे जेड सुरक्षा दी जाए। पुलिस के एक बड़े अधिकारी द्वारा जमात अली के परिवार से यह कहा जाता है कि तुम्हारे पास यह जानवर तुम्हारे हैं, इसका कोई दस्तावेज हो तो हमें दिखाओ और अब यथास्थिति बनाई जाए। कोई दंगा फसाद ना हो इसका हम पूरा प्रयास करेंगे। अब इस बात से ही समझा जा सकता है कि पुलिस किस तरह हिंदू फासीवादियों की जुबान बोल रही है। गाय के बछड़ा-बछड़ी होने पर व बकरी के बच्चे होने पर कोई जन्म प्रमाण पत्र तो नहीं बनाया जाता है। यह परिवार तो गाय की सेवा कर बछड़ा-बछड़ी होने पर उसकी सेवा कर कई सालों से पशुपालन करते आए हैं, अब यह क्या दस्तावेज दिखाएं। और रही यथास्थिति की बात तो जो सामान लूटा गया है उसका क्या होगा। वह तो परिवार को वापस नहीं किया गया। गायों को गौशाला छोड़ दिया गया और बकरियां देखभाल के लिए पुलिस की निगरानी में किसी और को सौंप दी गईं।
7-8 जुलाई तक तो परिवार द्वारा अपनी आप बीती और शासन-प्रशासन से इसमें उचित कानूनी कार्रवाई करने की बात कई सोशल मीडिया पर तैरती हुई देखी जा सकती है परंतु 12-13 जुलाई आते-आते परिवार की स्थिति यह हो गई कि वह किसी से मिलना नहीं चाहता है। कैमरे के आगे कुछ बोलना नहीं चाहता है। बार-बार यही दोहरा रहा है कि सब ठीक-ठाक है, हमें चैन से जीने दो। अब यहां आसानी से समझा जा सकता है कि परिवार किस दबाव से गुजर रहा है और पूरी घटना का क्या होने वाला है। परिवार पर तरह-तरह का दबाव बनाकर केस को हल्का किया जाएगा जो पहले से ही काफी हल्की धाराओं का ही लगाया गया है और जब उनका साथ देने के लिए समुदाय के दूसरे लोग आएंगे तो उनको यह कह कर कोई भी कार्रवाई करने के लिए मना किया जाएगा कि जब परिवार ही कुछ नहीं चाहता है तो आप लोग क्यों इतना बोल रहे हो।
हिंदू फासीवादियों के शासन-प्रशासन द्वारा इस तरह की गई कई कार्रवाईयों को हम पहले भी देख चुके हैं। जैसे जब महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया तो उसमें एक पाक्सो एक्ट भी था। इस बच्ची के परिवार वालों को इतना परेशान किया गया कि इन्होंने अपना केस वापस ले लिया। बृजभूषण से पाक्सो एक्ट हटा दिया गया। इसी तरह की कार्रवाई ही इस घटना में दोहराई जा रही है और आगे भी दोहराई जाएगी। अब हिंदू फासीवादियों के हिंदू राष्ट्र में यही होगा। अल्पसंख्यकों के साथ, महिलाओं के साथ, आदिवासियों के साथ, नौजवानों के साथ, मजदूरों के साथ, किसानों के साथ और लड़ने वाले हर संगठन व शख्स के खिलाफ जो हिंदू राष्ट्र के बनने में रोड़ा होगा और सरकार की आलोचना करेगा।
-फरीदाबाद संवाददाता
हिंदू राष्ट्र की एक छोटी सी झलक
राष्ट्रीय
आलेख
फिलहाल सीरिया में तख्तापलट से अमेरिकी साम्राज्यवादियों व इजरायली शासकों को पश्चिम एशिया में तात्कालिक बढ़त हासिल होती दिख रही है। रूसी-ईरानी शासक तात्कालिक तौर पर कमजोर हुए हैं। हालांकि सीरिया में कार्यरत विभिन्न आतंकी संगठनों की तनातनी में गृहयुद्ध आसानी से समाप्त होने के आसार नहीं हैं। लेबनान, सीरिया के बाद और इलाके भी युद्ध की चपेट में आ सकते हैं। साम्राज्यवादी लुटेरों और विस्तारवादी स्थानीय शासकों की रस्साकसी में पश्चिमी एशिया में निर्दोष जनता का खून खराबा बंद होता नहीं दिख रहा है।
यहां याद रखना होगा कि बड़े पूंजीपतियों को अर्थव्यवस्था के वास्तविक हालात को लेकर कोई भ्रम नहीं है। वे इसकी दुर्गति को लेकर अच्छी तरह वाकिफ हैं। पर चूंकि उनका मुनाफा लगातार बढ़ रहा है तो उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं है। उन्हें यदि परेशानी है तो बस यही कि समूची अर्थव्यवस्था यकायक बैठ ना जाए। यही आशंका यदा-कदा उन्हें कुछ ऐसा बोलने की ओर ले जाती है जो इस फासीवादी सरकार को नागवार गुजरती है और फिर उन्हें अपने बोल वापस लेने पड़ते हैं।
इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं।
कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है।