जब जंगी जहाज़ ओझल हो जाते हैं -महमूद दरवेश

जब जंगी जहाज ओझल हो जाते हैं, फाख्ता उड़ती हैं
उजली, उजली आसमान के गालों को पोंछते हुए
अपने आजाद डैनों से, वापस हासिल करते हुए वैभव और प्रभुसत्ता
वायु और क्रीड़ा की। ऊंचे और ऊंचे
फाख्ता उड़ती हैं, उजली, उजली। काश, कि आसमान
असली होता (एक आदमी ने गुजरते हुए दो बमों के बीच से मुझे कहा)
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एक हत्यारे से : अगर तुमने शिकार के चेहरे पर ध्यान दिया होता
और सोचा होता, तुम याद कर पाते गैस चैम्बर में अपनी मां को,
तुम खुद को आजाद कर पाते राइफल के विवेक से
और बदल देते अपना विचार : यह वह तरीका नहीं
जिससे पहचान वापस हासिल की जाती है!
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हमारे नुकसानात : दो शहीदों से आठ
हर रोज,
और दस जख्मी
और बीस घर
और पचास जैतून के दरख्त,
अलावा उस संरचनात्मक आघात के
जो होगा कविता को, नाटक और अधबनी पेंटिंग को
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एक औरत ने एक बादल से कहा : मेरे प्यारे को ढांप लो
क्योंकि मेरे कपड़े तर हैं उसके ख़ून से!
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अगर तुम एक बारिश नहीं बनोगे, मेरे प्यारे
एक पेड़ हो जाओ
उर्वरता से तर.. पेड़ हो जाओ एक
और अगर तुम पेड़ नहीं बनोगे मेरे प्यारे
एक शिला बन जाओ
नमी से तर.. शिला बन जाओ एक
और अगर तुम शिला भी नहीं बन सकते मेरे प्यारे
एक चांद बन जाओ
आशिक की नींद में.. चांद बन जाओ एक

(ये वे बातें हैं वह जो एक औरत ने कहीं
अपने बेटे को दफ्न करते हुए)
  (साभार : कविता कोश)
 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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