जब जंगी जहाज़ ओझल हो जाते हैं -महमूद दरवेश

जब जंगी जहाज ओझल हो जाते हैं, फाख्ता उड़ती हैं
उजली, उजली आसमान के गालों को पोंछते हुए
अपने आजाद डैनों से, वापस हासिल करते हुए वैभव और प्रभुसत्ता
वायु और क्रीड़ा की। ऊंचे और ऊंचे
फाख्ता उड़ती हैं, उजली, उजली। काश, कि आसमान
असली होता (एक आदमी ने गुजरते हुए दो बमों के बीच से मुझे कहा)
..........
एक हत्यारे से : अगर तुमने शिकार के चेहरे पर ध्यान दिया होता
और सोचा होता, तुम याद कर पाते गैस चैम्बर में अपनी मां को,
तुम खुद को आजाद कर पाते राइफल के विवेक से
और बदल देते अपना विचार : यह वह तरीका नहीं
जिससे पहचान वापस हासिल की जाती है!
...........
हमारे नुकसानात : दो शहीदों से आठ
हर रोज,
और दस जख्मी
और बीस घर
और पचास जैतून के दरख्त,
अलावा उस संरचनात्मक आघात के
जो होगा कविता को, नाटक और अधबनी पेंटिंग को
............
एक औरत ने एक बादल से कहा : मेरे प्यारे को ढांप लो
क्योंकि मेरे कपड़े तर हैं उसके ख़ून से!
..........
अगर तुम एक बारिश नहीं बनोगे, मेरे प्यारे
एक पेड़ हो जाओ
उर्वरता से तर.. पेड़ हो जाओ एक
और अगर तुम पेड़ नहीं बनोगे मेरे प्यारे
एक शिला बन जाओ
नमी से तर.. शिला बन जाओ एक
और अगर तुम शिला भी नहीं बन सकते मेरे प्यारे
एक चांद बन जाओ
आशिक की नींद में.. चांद बन जाओ एक

(ये वे बातें हैं वह जो एक औरत ने कहीं
अपने बेटे को दफ्न करते हुए)
  (साभार : कविता कोश)
 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को