मजदूर

BST कंपनी की महिला मजदूरों का संघर्ष

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पंतनगर/ सिडकुल पंतनगर के सेक्टर -09, प्लाट संख्या -09 में BST कम्पनी स्थित है। यहां के मजदूर गैर कानूनी मिलबंदी के खिलाफ संघर्षरत हैं। महिला मजदूरों के न

जबरन स्थानांतरण-हस्ताक्षर व गेटबंदी के खिलाफ किर्बी के मजदूर

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हरिद्वार/ किर्बी बिल्डिंग सिस्टम कम्पनी सिडकुल (हरिद्वार) के मजदूरों पर जबरन ट्रांसफर के लिए दबाव बनाने व जबरन हस्ताक्षर कराने का विरोध करने पर 5-6 मजदूर

ग्रीस : रेल दुर्घटना की बरसी पर लाखों लोगों का प्रदर्शन

ग्रीस में 2023 में 28 फरवरी को टेम्पी नामक स्थान पर भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। इस घटना के 2 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक इस दुर्घटना में मारे गये लोगों और उनके परिवारजनो

योगी सरकार का मजदूर महिलाओं पर नया हमला

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8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर योगी सरकार ने मजदूर महिलाओं को तोहफा दिया है। यह तोहफा है मजदूर महिलाओं को खतरनाक उद्योगों में काम कर

अमेरिका में ट्रम्प और एलन मस्क के खिलाफ प्रदर्शन

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अमेरिका में राष्ट्रपति की शपथ लिए अभी 1 महीना भी नहीं बीता कि लोगों का गुस्सा उन पर फूट पड़ा है। लोग सड़कों पर ट्रम्प के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। वे ट्रम्प द्वारा ट्रांसजेंड

अवैध प्रवासी मजदूर और उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की पूंजीपरस्त नीतियां

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बीते 5 फरवरी 2025 को अमेरिका से 104 भारतीय मजदूरों/अवैध प्रवासियों को हाथ-पैर में जंजीरों से बांधकर अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा भारत के अमृतसर हवाई अड्डे पर लाया गया। इन अ

बांग्लादेश में रेलवे कर्मचारियों की एक दिवसीय हड़ताल

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28 जनवरी को सुबह से ही बांग्लादेश के रेलवे के रनिंग (ट्रेनों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले) कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। यह हड़ताल रेलवे यू

आलेख

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

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इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

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1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।