खुशखबरी ! अब कानून अंधा नहीं रहा

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने अपने रिटायर होने से पहले एक महान काम कर दिया। उन्होंने अंधे कानून को आंखों वाला बना दिया। न्याय की देवी की आंखों में बंधी पट्टी हटा दी
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने अपने रिटायर होने से पहले एक महान काम कर दिया। उन्होंने अंधे कानून को आंखों वाला बना दिया। न्याय की देवी की आंखों में बंधी पट्टी हटा दी
मोदी के गुजरात में जो भी हो जाये सब कम है। मोदी है तो मुमकिन है। अभी कुछ वर्ष पूर्व अडाणी के बंदरगाह पर 3000 करोड़ रुपये के ड्रग्स पकड़े गये थे। कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्र
बीते दिनों केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने अपना देशव्यापी सदस्यता अभियान चलाया। दावा किया गया कि 1 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक चले इस अभियान में 10 करोड़ लोगों को भाजपा
दशहरे पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जो भाषण दिया उसके निहितार्थ काफी घातक हैं। संघ ने बांग्लादेश-श्रीलंका सरीखे विद्रोह भारत में रोकने के लिए संघी संगठनों के लिए मुसलमानों
जब पुलिस खुद अपराध को संघी धार्मिक चश्मे से देखने लगे। जब प्रशासन से लेकर सरकार के मुखिया धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपराधी ठहराने में जुटे हों तब संघ-भाजपा के लिए समूचे प्र
आरएसएस-भाजपा की पूरी विचारधारा, सोच, राजनीति झूठ और फरेब से भरी है। इनका राष्ट्रवाद फर्जी सिद्धान्तों पर खड़ा है। और यह राष्ट्रवाद मजदूरों-मेहनतकशों के हितों के स्थान पर देशी-विदेशी पूंजी और भारतीय समाज के घोर प्रतिक्रियावादी तत्वों की रक्षा करता है। इनके राष्ट्रवाद की जो कोई गहराई से छानबीन करेगा वह पायेगा कि इसमें जातिवाद, नस्लवाद, मर्दवाद, धार्मिक पाखण्ड-प्रपंच, अन्य धर्मों के प्रति गहरी घृणा व आक्रामकता कूट-कूट कर भरी है। सरल शब्दों में इनके राष्ट्रवाद का मतलब- पाकिस्तान-बांग्लादेश के साथ रात-दिन अलग-अलग ढंग से मुसलमानों को गाली देना है।
अक्ल बेचकर कोई खायेगा तो इसका परिणाम क्या निकलेगा। दुनिया भर के पूंजीवादी नेताओं का यही हाल है। क्या हमारा देश और क्या इटली। हमारे देश में एक ओर बलात्कारियों के लिए आये द
बिरयानी का नाम सुनते ही कईयों की भूख खुल जाती है। मुंह में लार आने लगती है। बिरयानी चाहे कैसी भी हो ‘‘कच्ची’’ या ‘‘पक्की’’ या फिर वह मांसाहारी हो अथवा शाकाहारी या फिर वह
पहाड़ों में एक घास होती है जो दोनों ओर लगती है। सीधी भी उल्टी भी। इस घास को छूने या पकड़़ने से बिजली का करेण्ट सा लगता है। खुजली होती है और खुजली आसानी से मिटती नहीं है। बच
18 सितम्बर को बिहार के नवादा जिले में दबंगों ने 80 महादलितों के घर फूंक दिये। नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र की कृष्णा नगर दलित बस्ती को दबंगां द्वारा न केवल आग के ह
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।
पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता