अभिनेता और मजदूर

वो अपने जन्म से पहले ही चर्चा में था, जिस वक्त उसके जन्म की घोषणा की चर्चा तमाम मीडिया में सुर्खियां बटोर रही थी, ठीक वही वक्त था जब माटी अपने गर्भ से लोहा उगलने की तैयारी कर रही थी। प्रसव की वेदना के अतिरिक्त कोई अन्य समानता इन दो दुनिया के बीच मौजूद न थी। संपत्तिशाली लोगों द्वारा जनित इस भेदभावपूर्ण दुनिया में एक अमीर का शहजादा राजकुमार, भावी अभिनेता तो दूसरा किसान का बेटा, एक भावी मजदूर था।
    
एक नृत्य की विभिन्न कलाओं में पारंगत हुआ, उसने बहुत सी भाषाएं सीख लीं, कुशल लोगों ने उसके अभिनय को धारदार बना दिया। तो दूसरी तरफ खेतों की मिट्टी ने खुद को लोहे को सौंप दिया, उत्पादन के लोहे के औजार वाद्य यंत्र बन गए। मशीनों की धड़धड़ाहट संगीत बन गई। मजदूर अभिनेता के गीतों पर थिरकता, और मजदूर के बनाए पुर्जे अभिनेता के वाहन को रफ्तार देते। मजदूर अभिनेता की फिल्मों की कमाई की चर्चा करता और अभिनेता फिल्मों में मजदूर का अभिनय करता। एक तरफ अभिनेता की कार की कीमत की चकाचौंध भरी दुनिया तो दूसरी तरफ फैक्टरी के भीतर रात में भी दिन जैसा प्रकाश।
    
अभिनेता और मजदूर के बीच की इस खाई को जन्म देने वाला दोनों में से कोई न था। तपता हुआ लोहा कैसे महलों, कोठियों की रौनक बन गया और कैसे अभिनेता के गीतों ने लोहे के संगीत का कत्ल किया दोनों ही इस भेद से अनजान थे। गीता, कुरान, बाइबिल किसी भी धर्मग्रंथ ने इसका खुलासा नहीं किया।
    
विकृत होते समाज में अभिनेता का समस्त अभिनय, सारी भाषाएं, सारा ज्ञान और वो सब कुछ जो इस तथाकथित दुनिया में नायकत्व लिए हुए है, इस विकृति को और भी ज्यादा सड़ांध से भरने में एक कलपुर्जा बन गया। वह जन्म से पशु नहीं था, परंतु वह पशुता से भरता गया। उसका पेशा पशुता नहीं था परंतु अब उसका पेशा पशुता के नए कीर्तिमान गढ़ रहा था, और भांडों द्वारा महिमामंडित हो रहा था। पशुता की सड़ांध चारों दिशाओं में फैल रही थी। खूनी पंजों ने विज्ञान को जकड़ लिया था, निकृष्ट स्वार्थों के वशीभूत हो एक तरफ सारा विज्ञान इस पशुता को जीवंत रूप में दर्शा रहा था और दूसरी तरफ फैक्टरी में नई कन्वेयर बेल्ट की बढ़ी हुई लाइन स्पीड उत्पादन को दो गुना बढ़ा रही थी, इस कन्वेयर बेल्ट का कल-पुर्जा बन मजदूर इस समाज को गति दे रहा था।
    
मजदूर और अभिनेता दोनों ही इस समाज के कल-पुर्जे बन गए। मजदूर एक मशीन का पुर्जा बन पूरे समाज को जीवन देने की गति का हिस्सा बन गया और अभिनेता बजबजाती सड़ांध को फैलाने  वाला पुर्जा।  
    
धनिया तेरे घर लड़का हुआ है। ठीक उसी वक्त किसी दूसरी जगह अभिनेता ने नई फैक्टरी का फीता काटा, अपनी पहली संतान के नाम का।         
         -धनिया, भारतीय

आलेख

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