24 दिसंबर को इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर मोरावली इंडस्ट्रियल पार्क में स्थित निकिल प्रोसेसिंग प्लांट इंडोनेशिया सिंगशान स्टेनलेस स्टील प्लांट में ब्लास्ट होने से 19 मज़दूरों की मौत हो गयी। इनमें 11 मजदूर इंडोनेशिया और 8 मजदूर चीन के थे। साथ ही 40 मजदूर घायल भी हैं। यह प्लांट चीन के सिंगशान होल्डिंग ग्रुप की इकाई है। मोरावली इंडस्ट्रियल पार्क का मालिकाना चीन के सिंगशान होल्डिंग ग्रुप व इण्डोनेशिया के बिनटांग डेलपान ग्रुप के पास है।
यह दुर्घटना उस वक्त हुई जब प्रातः 5ः30 बजे मजदूर एक भट्टी की मरम्मत कर रहे थे। भट्टी की दीवार ढहने से पिघला लोहा बहने से आग लग गई और इतने मजदूरों को जान गंवानी पड़ी।
घटना के बाद सैकड़ों मजदूरों ने रैली निकाली और 23 सूत्रीय मांग पत्र के द्वारा कम्पनी में ओकुपेशनल हेल्थ एंड सेफ्टी रूल्स लागू करने की मांग की। इसके साथ ही स्मेल्टर (धातु गलाने वाली भट्टियां) को ठीक से मेन्टेन करने और चीनी मज़दूरों द्वारा इंडोनेशियाई भाषा सीखने की बात कही।
सुलावेसी द्वीप निकिल प्रोसेसिंग का हब है। यहां 3000 हेक्टयर का औद्योगिक पार्क है। इस पार्क में निकिल प्रोसेसिंग से जुड़े 70,000 मज़दूर काम करते हैं। इनमें चीनी मज़दूर भी काम करते हैं। इस निकिल का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरियों और स्टेनलेस स्टील बनाने में होता है। चूंकि आने वाले समय में सरकारों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दिया जा रहा है इस वजह से निकिल का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है। टेस्ला कम्पनी जो इलेक्ट्रिक वाहन बनाती है, इंडोनेशिया में निवेश बढ़ाने के लिए समझौते कर रही है।
इंडोनेशिया की सरकार ने कच्चे निकिल का निर्यात बंद कर खनिज सम्पदा से भरपूर क्षेत्र सुलावेसी द्वीप को निकिल प्रोसेसिंग के हब के रूप में विकसित किया है साथ ही इन निकिल प्रोसेसिंग इकाईयों में ऐसी दुर्घटनाएं बढ़ गयी हैं। इन प्लांटों में मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न भी काफी ज्यादा है। जनवरी 23 में ही जब मजदूरों ने चीनी कंपनी जियान्गसू डिलोंग निकिल इंडस्ट्री लिमिटेड में अपने वेतन बढ़ाने और कार्य के दौरान सुरक्षा व्यवस्था ठीक करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तब पुलिस ने दो मजदूरों (एक इंडोनेशिया और एक चीनी) को मार डाला था। चीनी कंपनियां न केवल इंडोनिशिया बल्कि अपने यहां के चीनी मज़दूरों का भी बेतहाशा शोषण-उत्पीड़न कर रही हैं।
हालांकि मज़दूरों ने अपने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के द्वारा यह उम्मीद जाहिर की है कि अब ऐसी घटनायें दुबारा नहीं होंगी लेकिन जल्दी ही उनका यह भ्रम टूट जायेगा। पूंजी अपने मुनाफे के लिए फिर ऐसी दुर्घटनाओं को जन्म देगी।
उधर भारत के तमिलनाडु के एन्नौर में एक फर्टीलाइजर कम्पनी से अमोनिया गैस के रिसाव से 57 लोग बुरी तरह प्रभावित हो गये। कोरामंडेल इंटरनेशनल नामक कंपनी में अमोनिया गैस का रिसाव उसे ठण्डा कर द्रव रूप में बदलने की प्रक्रिया में हुआ। रात 11ः30 बजे हुए रिसाव से आस-पास के 5 किमी. दूरी तक प्रभाव महसूस किया गया। सांस लेने में तकलीफ होने पर लोग नींद से जाग पड़े। कम्पनी ने कोई अलर्ट भी जारी नहीं किया। कम्पनी से दौड़ते मजदूरां ने ही लोगों को इलाका खाली करने को कहा। अस्पताल में 57 लोग भर्ती हुए। आठ गांवों के प्रभावित लोगों ने सड़क जाम कर कम्पनी बंद करने की मांग की। पर्यावरण संबंधी अनियमितताओं का हवाला दे फिलहाल प्लांट बंद कर दिया गया है।
इसी तरह की दुर्घटना गुजरात के वडोदरा में एक फार्मास्यूटिकल केमिकल कम्पनी में हुई जहां पाइप से जहरीली गैस वातावरण में लीक हो गयी और 4 मजदूरों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जब देश-दुनिया में सुरक्षा मानकों की अनदेखी का शिकार मजदूर-मेहनतकश न बन रहे हों। पूंजी की मुनाफे की हवस मजदूरों की जान से खेल रही है।
औद्योगिक दुर्घटनाओं के शिकार बनते मजदूर
राष्ट्रीय
आलेख
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
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