
भारत का 68वां गणतंत्र दिवस ऑनलाइन मार्केट में जोशो-खरोश से मनाया गया। गणतंत्र दिवस के इस राष्ट्रीय पर्व पर कपड़े, जूते, चप्पल, कास्मेटिक से लेकर तमाम सामान सस्ते दामों पर मुहैय्या थे। माल खरीदिए और गणतंत्र दिवस का आनन्द उठाइये। 10 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक की छूट पर। <br />
जब बाजार में ये सब खरीददारी चल रही थी, इसी बीच लाल किले पर गणतंत्र दिवस की परेड भी चल रही थी। वहां पर भारत की मिसाइलें, टैंकों से लेकर सैनिक, अर्द्धसैनिक सहित तमाम झांकियां भी परेड़ में थीं। कई सैनिकों या शहीदों के आश्रितों को चिह्न भेंट किए गये। इस परेड़ में मिसाइलों, टैंकों और सेना को क्यों शामिल किया जाता है?<br />
तमाम अखबारों, चैनलों और गणमान्य नेताओं ने बताया अपनी शक्ति दिखाने के लिए। यह शक्ति किसको दिखाई जा रही है? यह शक्ति उनको दिखाई जा रही है जो भारतीय बाजार के आड़े आ रहे हैं यानि दूसरे बाजार। हां, इसमें यह साफ है कि अपने से ज्यादा शक्ति, सेना, हथियार वालों को नहीं। क्योंकि उनके प्रदर्शनों के आगे यह कुछ भी नहीं। दूसरा निशाना है भारतीय ग्राहक जो अभी तक खरीददारी करने नहीं गए। इससे भी ज्यादा वे लोग जो ऐसी खरीददारी नहीं कर सकते। यानि आम मजदूर-मेहनतकश जो गणतंत्र दिवस के अवसर पर मिली छूट में कोई खरीददारी नहीं कर सकता। वह बाकी साल भर क्या खरीदारी करता होगा। वह गणतंत्र दिवस क्या मनाएगा। शक्ति प्रदर्शन पड़ोसी कमजोर देशों के साथ देश की गरीब जनता को भी डराने का जरिया है। <br />
देशभक्ति दिखाने के लिए ये ऑनलाइन दुकानें एक पैमाना हैं। जो अपने देश से ‘प्रेम’ करता होगा उसे गणतंत्र दिवस पर अवश्य ही खरीददारी करनी चाहिए। जो खरीददारी नहीं कर सकते वे गणतंत्र बदल लें। बाजार का 68वां गणतंत्र दिवस सफल आयोजन के बाद समाप्त हुआ।