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दिल्ली में दो मियांओं की सरकार है। बड़े मियां की बड़ी तो छोटे मियां की छोटी सरकार।
5 फरवरी को चुनाव होने हैं। बड़े मियां छोटे मियां की सरकार को हजम कर जाना चाहते हैं। छोटे मियां ने ऐसा ही सपना बड़े मियां की सरकार के लिए देखा था। पर बड़े मियां ने छोटे मियां को ऐसा जूता सुंघाया कि बेचारे छोटे मियां कहीं के न रहे। आम चुनाव में एक भी सीट दिल्ली में न जीत पाये। अब बारी छोटे मियां की है कि वे 5 फरवरी को दिल्ली में क्या करामात दिखाते हैं। बड़े मियां अपनी पगड़ी, अपना जूता क्या संभाल पाते हैं या फिर सब कुछ गंवा देते हैं। वैसे छोटे मियां ने बता दिया है कि दिल्ली का चुनाव देश का चुनाव है। गर चुनाव जीत गये तो कहेंगे हमने देश जीत लिया। पहले ही कह दिया था दिल्ली का चुनाव देश का चुनाव है।
बड़े मियां और छोटे मियां एक ही खानदान के हैं। दोनों में फर्क बस इतना है कि एक की उम्र सन्यास लेने की है तो दूसरा तेजी से सठियाने की ओर बढ़ रहा है। बाकी दोनों मियां में सब कुछ ‘सेम टू सेम है’। एक ‘राम! राम!’ करके चुनाव जीतता है तो दूसरा हर सांस में कहता है ‘जय हनुमान! जय हनुमान!’ एक ने एक के बाद एक दिल्ली में बड़़ी सरकार हिन्दुत्व के नाम पर क्या बनायी तो छोटे मियां ने भी वही नुस्खा अपनाकर तीन बार दिल्ली में छोटी सरकार बना ली। बड़े मियां से छोटे मियां ने बहुत कुछ सीखा है पर छोटे मियां ने बड़े मियां को खूब सबक दिये हैं। बड़े मियां ने छोटे मियां की लानत मलामत करते हुए कहा कि रेवड़ी बांटना गलत है पर जल्द ही बड़े मियां को समझ में आ गया कि छोटे मियां तो इसके दम पर चुनाव जीतते आ रहे हैं। बस अब तो बड़े मियां भी वही करते हैं जो छोटे मियां करते हैं। छोटे मियां किसी बात पर कहते हैं 2000 रुपये तो बड़े मियां झट से 500 रु. बढ़ाकर 2500 रु. कह देते हैं।
बड़े मियां ने छोटे मियां के साथ बहुत जुल्म किये हैं बेचारे को पिछली बार जेल में डाल दिया। छोटे मियां मन मसोस कर रह गये थे। सोचते होंगे, कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं। सोचा खुदा न खास्ता कभी छोटे मियां के दिन फिर गये तो बड़े मियां का क्या होगा।