उत्तराखंड में आए दिन भर्ती घोटाले खुलते ही जा रहे हैं। भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच कराने, ‘पहले जांच, फिर परीक्षा’ और नकल विरोधी कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही हैं। पारदर्शी तरीके से परीक्षा कराने की मांग सहित अन्य मांगों को लेकर देहरादून के गांधी पार्क में प्रदर्शन (सत्याग्रह) कर रहे नौजवानों के ऊपर 8 फरवरी की आधी रात में उत्तराखंड पुलिस ने लाठीचार्ज किया। नौजवानों ने बताया कि पुलिसकर्मी बिना नेम प्लेट के नौजवानों के ऊपर टूट पड़े। छात्राओं का भी पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा दमन किया गया। 9 फरवरी को हजारों छात्रों के प्रदर्शन पर फिर से उत्तराखंड पुलिस ने भयंकर लाठीचार्ज किया।
ज्ञात रहे UKSSSC (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग) द्वारा करायी गयी पिछली कई परीक्षाओं में धांधलियों, घोटालों की परतें खुल चुकी हैं। अब UKPSC (उत्तराखंड लोक सेवा आयोग) द्वारा कराए गई परीक्षाओं में भी यह घोटाले सामने आ रहे हैं। इनमें पुलिस, पटवारी, वन क्षेत्राधिकारी, लोअर पीसीएस, आरओ, एआरओ, पीसीएस जे, प्रवक्ता, एई, जेई आदि तमाम परीक्षाओं में भ्रष्टाचार की बात सामने आ चुकी हैं। साथ ही इन भ्रष्टाचारियों के संबंध भाजपा नेताओं, मंत्रियों व अधिकारियों से जगजाहिर हैं।
9 फरवरी को बुद्ध पार्क, हल्द्वानी में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने देहरादून में प्रदर्शनरत छात्रों के ऊपर लाठीचार्ज करने, फर्जी मुकदमे लगाने, भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच कराने, निष्पक्ष पेपर कराने, ‘पहले जांच, फिर परीक्षा’ और नकल विरोधी कानून बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। हल्द्वानी के अलावा उत्तराखंड व देश के कई शहरों में छात्र-नौजवानों, न्यायप्रिय लोगों ने प्रदर्शन किये।
इस दौरान चली सभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों को बेचा जा रहा है। यह नौकरियां लाखों रुपयों में बेची जा रही हैं और दिन-रात मेहनत करने वाले आम छात्र अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसमें भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी-अपनी सरकारों के समय मेेेेें इन नौकरियों को, अपने-अपने चहेतों को बेचा। आज हालत यह है कि उत्तराखंड बनने के बाद पिछले 22-23 सालों में कोई भी पेपर बिना लीक हुये, विवाद व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े बगैर नहीं हो रहा है। भर्ती परीक्षाओं को बेचने वाले भ्रष्टाचारी करोड़ों-अरबों की संपत्ति के मालिक बन चुके हैं।
उत्तराखंड में एक आंकड़े के अनुसार यहां 56,944 सरकारी पद रिक्त हैं। इन पदों को भरा नहीं जा रहा है। युवाओं की मांग इन पदों को तत्काल पारदर्शी तरीके से भरने को लेकर हैं। साथ ही सरकारी नौकरियों को लगातार निजीकरण के हवाले किया जा रहा है। ठेका-संविदा के तहत सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। निजी क्षेत्र में मात्र 7 से 8 हजार में पढ़ा-लिखा नौजवान काम करने को मजबूर है। हमें सरकारी नौकरियों में निजीकरण की प्रथा बंद करने और प्राइवेट सेक्टर में ठेकेदारी की जगह स्थाई रोजगार की मांग के लिए अपनी आवाज को बुलंद करना चाहिए। पिछले कई सालों से नए पद सृजित नहीं किए गये हैं। बढ़ती आबादी के हिसाब से नए पद सृजित करने की मांग भी उठानी है। पढ़ा-लिखा नौजवान अपने गांव, दूरदराज के इलाकों, पहाड़ों से शहर आकर नौकरी की तैयारी करने में अपना समय बीता रहा है। सालों बाद भी उसको स्थाई रोजगार मिलना मुश्किल हो रहा हैं। इस दौरान सभा में वक्ताओं ने मांग की कि हर छात्र को उसकी योग्यतानुसार रोजगार दिया जाए। रोजगार नहीं दिए जाने तक हर छात्र को प्रतिमाह 10 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
प्रदर्शनों में एक मांग 'नकल विरोधी कानून' बनाने की मांग जोरों पर हैं। उत्तराखंड सरकार ने आंदोलन के दबाव में, बिना कैबिनेट की बैठक में कानून को पास कराकर लाए, एक अध्यादेश के जरिए नकल विरोधी कानून बना दिया है, ताकि प्रदर्शन कर रहे छात्र-नौजवानों के गुस्से को शांत किया जा सके। कानूनों से भ्रष्ट बड़े मगरमच्छ बच जाते हैं। हां, छोटी मछलियां जरूर पकड़ में आ जाती है।
उत्तराखंड में ‘डबल इंजन’ की भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘जीरो टालरेंस’ की नीति भर्ती घोटाले के अपराधियों को संरक्षण और इनकी जांच की मांग करने वाले छात्र-नौजवानों पर दमन, लाठीचार्ज और फर्जी मुकदमों की हैं।
हरिद्वार/ हरिद्वार में 10 फरवरी को विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं ट्रेड यूनियनों ने भर्ती घोटाले के लिए संघर्षरत छात्रों-नौजवानों पर लाठीचार्ज के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में फूड्स श्रमिक यूनियन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, इमके, कर्मचारी संघ सत्यम आटो, राजा बिस्किट मजदूर संगठन, देवभूमि श्रमिक संगठन आदि के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड सरकार का पुतला दहन किया गया।
बरेली/ बरेली में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, क्रालोस व क्रांतिकारी किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर देहरादून में हुए लाठीचार्ज की निन्दा की। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने बेरोजगारी के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष खड़ा करने की जरूरत पर जोर दिया।
काशीपुर, रामनगर में भी विभिन्न संगठनों ने उपरोक्त लाठी चार्ज के खिलाफ प्रदर्शन किया। -विशेष संवाददाता