घाना में 20 जनवरी को आर्मी ने ओबुअसी में 6 "अवैध खनिकों" की हत्या कर दी। ओबुअसी में स्थित सोने की खान बहुराष्ट्रीय कम्पनी एंग्लोगोल्ड अशांती की है जो अशांती क्षेत्र में कुमासी से 60 किलोमीटर दक्षिण में है। सेना का कहना है कि 60 के करीब हथियारबंद अवैध खनिकों ने रात में सुरक्षा दीवार में सेंध लगायी और पेट्रोलिंग कर रहे सेना के गार्डों पर गोलियां चलायीं। जिसके बाद उन्होंने भी गोली चलायीं।
लेकिन दूसरी तरफ स्माल स्केल माइनर्स के घाना नेशनल ऐशोसियेशन् के अध्यक्ष का कहना है कि वे हथियारबंद नहीं थे। उन्होंने ये भी कहा कि पहले गार्ड इस तरह गोली नहीं चलाते थे। पहले चेतावनी फायरिंग करते थे ताकि सेंध लगाने वाले भाग जाएं।
सेना के द्वारा इस तरह खान मालिक के मुनाफे की खातिर लोगों की हत्या ने अबुअसी के लोगों को आक्रोशित कर दिया और उन्होंने एंग्लोगोल्ड अशांती कम्पनी के परिसर में घुसकर तोड़ फोड़ की और गाड़ियों को आग लगा दी। उनकी नाराजगी का कारण कम्पनी द्वारा सोने का बेतहाशा दोहन करना और क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ न करना भी था।
सेना द्वारा इस तरह "अवैध खनन" के नाम पर लोगों की हत्या करने ने इस बात को भी फिर उजागर कर दिया है कि किस तरह संसाधनों से भरपूर घाना में आम लोग गरीब हैं। और देशी और विदेशी पूंजीपति इन खानों से न केवल खनिजों को निकालकर अमीर बन रहे हैं बल्कि वे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
घाना में कोकोआ की काफी खेती होती थी। सोने के लालच में कोकोआ की खेती बंद कर पेड़ों को काट दिया गया। हज़ारों एकड़ के जंगल इसीलिए काट दिये गये। साथ ही नदियों का पानी भी सोना साफ करने के लिए इस्तेमाल किये जा रहे केमिकल के कारण प्रदूषित हो गया है। पर्यावरण के विनाश का असर स्थानीय आबादी भुगत रही है।
घाना की जमीन में न केवल अंदर बल्कि उसकी ऊपरी परत में भी सोना मिलता है। घाना के लोग इस सोने को अपने सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करके निकालते रहे हैं। लेकिन बाद में सरकार ने इसके लिए लाइसेंस देने शुरु कर दिये। इसका मतलब साफ था कि जो पैसे वाले थे वे ही लाइसेंस ले पाते थे और बाकी स्थानीय आबादी उनके लिए मज़दूरी करने लगी।
बाद में जब अंतराष्ट्रीय बाज़ार में सोने की कीमत बढ़ने लगी तो बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सोने की खानों और उसके व्यापार पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया। और स्थानीय आबादी द्वारा सोने निकालने पर प्रतिबंध लगाना शुरु कर दिया। स्थानीय आबादी जो बेरोजगार है और उसके पास अपनी जीविका का कोई अन्य साधन नहीं है या फिर अन्य तरीके से अपने जीवन को बेहतर नहीं बना सकते वे किसी तरह सोने का खनन अपने हाथों या अन्य छोटे-मोटे औजारों से करते रहे हैं। इसे सरकार और खनन कम्पनियां "अवैध खनन" का नाम देती हैं और इन पर शिकंजा कसती रहती हैं।
अभी दक्षिण अफ्रीका में भी अवैध खनन पर शिकंजा कसने की कोशिश में सरकार ने 100 से ज्यादा "अवैध खनिकों" की हत्या कर दी है। घाना में भी इसी कोशिश ने 6 "अवैध खनिकों" की जान ले ली।