बाघ और तेंदुये के आतंक से निजात दिलाने को जनता संघर्षरत

रामनगर (नैनीताल) में कार्बेट से लगे गांवों में बाघ और तेंदुये के आतंक और कार्बेट प्रशासन व सरकार द्वारा इंसानों के बजाय जंगली जानवरों की जान को अधिक अहमियत देने के कारण ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। बाघ और तेंदुओं के हमलों में अपने कई परिजनों, भाई-बंधुओं और मवेशियों को गंवा चुके ग्रामीणों ने 14 दिसम्बर को दोबारा से कार्बेट के ढेला गेट को जाम कर पर्यटन गतिविधियों को ठप्प कर दिया।
    
इससे पूर्व 9 दिसम्बर को भी ग्रामीणों ने भारी तादात में जुटकर कार्बेट के ढेला गेट को जाम कर दिया था। तब ग्रामीणों ने कार्बेट प्रशासन और सरकार को 5 दिनों की मोहलत देते हुये कहा था कि या तो बाघ और तेंदुये से उनके जान-माल की सुरक्षा का स्थायी बंदोबस्त किया जाये अन्यथा वे 14 दिसम्बर को पुनः ढेला गेट जाम कर देंगे। लेकिन कार्बेट प्रशासन और सरकार ने इस बीच ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ली और न ही बाघ के हमले में बुरी तरह घायल युवक अंकित के इलाज की कोई व्यवस्था की; जबकि इसी दौरान कई गांवों में रात होते-होते बाघ और तेंदुओं का खुला विचरण जारी रहा और लोग दहशत में जीने को मजबूर रहे; ऐसे में पूर्व घोषणा के अनुरूप ग्रामीणों ने 14 दिसम्बर को पुनः कार्बेट का ढेला गेट जाम कर पर्यटन गतिविधियों को ठप्प कर दिया। ग्रामीणों की इस कार्यवाही से एक बार फिर कार्बेट प्रशासन सकते में आ गया।
    
गेट जाम के दौरान हुई सभा में ग्रामीणों ने खुलकर अपने दर्द को बयां किया कि वे किस तरह बाघ और तेंदुये के खौफ में जी रहे हैं; कि उनके काम-धंधे, खेती, बच्चों की पढ़ाई सभी कुछ अस्त-व्यस्त हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी आदमखोर बाघ को न तो पकड़ा जा रहा है और न ही ग्रामीणों को बाघ को मारने का अधिकार दिया जा रहा है।

ग्रामीणों की मांग है कि- 
ु* बाघ एवं तेंदुये को संरक्षित जानवरों की सूची से बाहर किया जाये और किसी भी जंगली जानवर के हिंसक अथवा आदमखोर हो जाने पर उसे मारने का अधिकार ग्रामीणों को दिया जाये।
ु* जंगली जानवर के हमले में मारे गये व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजा राशि 6 लाख रु. से बढ़ाकर 25 लाख रु. की जाये।
ु*जंगली जानवर के हमले में घायल होने वाले किसी भी व्यक्ति के समूचे इलाज एवं प्राइवेट अस्पताल के बिल के भुगतान की जिम्मेदारी कार्बेट प्रशासन अथवा उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाई जाये; घायल को 5 लाख तथा गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 10 लाख का मुआवजा दिया जाये।
ु* जंगली जानवरों के हमले में मवेशियों व फसलों का नुकसान होने पर ग्रामीणों एवं किसानों को उसका मुआवजा बाजार दर पर दिया जाये।
ु* सुरक्षा गश्त में लगाने से पूर्व कर्मचारियों को हथियार उपलब्ध कराये जायें एवं दैनिक मजदूरों का बीमा कराया जाये।
ु* कंडी मार्ग (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार मोटर मार्ग), जो काफी समय से बंद पड़ा है उसे आम यातायात के लिये खोला जाये।
    
इस दौरान विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण से अब तक कार्बेट पार्क में बाघों एवं तेंदुओं की संख्या बहुत अधिक बढ़ चुकी है; वे भोजन की तलाश में गांवों में आकर इंसानों और उनके मवेशियों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे में जंगल के आस-पास बसे ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा के लिये आवश्यक है कि बाघों और तेंदुओं को संरक्षित जानवरों की श्रेणी से बाहर किया जाये; साथ ही अतिरिक्त बाघों और तेंदुओं को यहां से हटाया जाये। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की धामी सरकार होटल-रिसोर्ट लॉबी के हितों में बाघों की संख्या और अधिक बढ़ाने पर जोर दे रही है ताकि अधिक से अधिक पर्यटक कार्बेट पार्क में आएं और होटल-रिसोर्ट मालिकों का धंधा फले-फूले।
    
वक्ताओं ने कहा कि होटल-रिसोर्ट लॉबी और कारपोरेट पूंजीपति चाहते हैं कि बाघ के डर से ग्रामीण यहां से पलायन कर जायें या फिर अतिक्रमण के नाम पर सरकार उन्हें उनके गांवों से खदेड़ दे ताकि ग्रामीणों की जमीनों पर उनका कब्ज़ा हो जाये। ऐसे में ग्रामीणों को अपनी जान और पशुधन की सुरक्षा साथ ही अपनी जमीनों को बचाने के लिये सरकार और कारपोरेट पूंजीपतियों के इस नापाक गठजोड़ के विरुद्ध व्यापक लड़ाई लड़नी होगी।
    
सभा में वक्ताओं ने ऐसे दलाल पत्रकारों से सावधान रहने और उनका बहिष्कार करने का भी आह्वान किया जो कि ग्रामीणों के संघर्ष को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। अंत में 21 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से वन परिसर, रामनगर में धरना-प्रदर्शन की घोषणा के साथ ग्रामीणों ने जाम खोल दिया।     -रामनगर संवाददाता
 

आलेख

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।