गुडगांव/ 3 दिसंबर को बेलसोनिका यूनियन ने 12 अक्टूबर (53 दिनों से) से चल रहे अपने प्रतिरोध धरने पर एक एकजुटता सभा का आयोजन किया। यह एकजुटता सभा अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की कड़ी के रूप में थी। इस एकजुटता सभा में यूनियन ने सभी मजदूर संगठनों, ट्रेड यूनियनों, महिला व छात्र संगठनों को शामिल होने का आह्वान किया गया था।
एकजुटता सभा की शुरुआत एक क्रांतिकारी गीत ‘‘सर पर कफन बांध के निकली, मजदूरों की टोली’’ से की गई।
एकजुटता सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बेलसोनिका मजदूरों का संघर्ष आज की जरूरत बनती है। एक समय सरकार ठेका प्रथा के खिलाफ में ठेका प्रथा उन्मूलन कानून 1970 में लेकर आयी थी पर आज निजी क्षेत्र तो छोड़िए खुद सरकार की सभी संस्थाओं जैसे रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में बड़े पैमाने पर ठेकेदारी के मजदूरों के तहत काम करवाया जा रहा है और उन्हें न्यूनतम से भी कम वेतन दिया जा रहा है। ठेका मजदूरों को श्रम कानून में दर्ज अधिकार भी हासिल नहीं हो रहे हैं। वह यूनियन का सदस्य बन अपने अधिकारों के लिए भी नहीं लड़ पा रहा है।
जब प्रबंधन मजदूरों के संघर्षों को कमजोर करने के लिए मजदूरों को स्थाई व ठेके के मजदूर में बांटकर फूट डालने का काम कर रहा है तो ऐसे समय में बेलसोनिका के मजदूरों का संघर्ष आज मजदूर आंदोलन की जरूरत बन जाता है। बेलसोनिका यूनियन ने अपने साथ काम कर रहे ठेके के मजदूर को यूनियन की सदस्यता देकर ठेके के मज़दूरों के अधिकार के सवाल को मजबूती से उठाया है। बेलसोनिका मजदूरों का मानना सही ही है कि यदि हम ठेके के मज़दूरों को अपने साथ जोड़कर संघर्ष को नहीं लड़ेंगे तो हमारा संघर्ष कमजोर होगा और हम उसे नहीं जीत पाएंगे।
वक्ताओं ने मजदूर आंदोलन और संघर्षों में महिलाओं की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि हमें अपने संघर्ष में महिलाओं समेत पूरे परिवार को भी शामिल करना चाहिए और अपनी ताकत को और मजबूत करना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब महिलाएं आंदोलन और संघर्षों से जुड़ जाती हैं तो आंदोलन और संघर्षों के ताव और तेवर बढ़ जाते हैं और संघर्ष को मजबूती मिलती है।
यूनियन पदाधिकारी ने बात रखते हुए कहा कि हम संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कड़े फैसले लेते रहे हैं और आगे भी लेंगे। हमने अपनी एकजुटता के दम पर मई महीने में आंदोलन किया और तीन दिवसीय हड़ताल को अंजाम दिया जिस कारण मैनेजमेंट को झुकना पड़ा और उन्हें समझौते की टेबल पर आना पड़ा। हम अपनी एकजुटता के दम पर आगे भी सामूहिक फैसले लेंगे और हड़ताल भी करेंगे और अपने संघर्ष को जीतेंगे। यूनियन पदाधिकारी ने मज़दूरों से आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने और आन्दोलन का सहयोग व समर्थन करने का आह्वान किया।
एकजुटता सभा को बेलसोनिका यूनियन के पदाधिकारी समेत औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन, (फरीदाबाद), आईटीसी फूड श्रमिक यूनियन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, एवरेडी मजदूर यूनियन, सत्यम ऑटो कर्मचारी संघ, सीमेंस वर्कर्स यूनियन, (हरिद्वार) उत्तराखण्ड के पदाधिकारियों समेत प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, मजदूर सहयोग केंद्र के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। एकजुटता सभा में बेलसोनिका के मज़दूरों के परिवार से महिलाओं और बच्चों समेत बड़ी संख्या में बेलसोनिका मजदूर शामिल हुए।
एकजुटता सभा के फैसले के तहत 12 दिसम्बर को विभिन्न जगहों पर मजदूर संगठनों और फैक्टरी यूनियनों द्वारा बेलसोनिका प्रबंधन और ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा का पुतला फूंका गया।
विरोध-प्रदर्शन की इस कार्यवाही के दौरान विभिन्न मजदूर संगठनों- इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, मारुति स्ट्रगलिंग कमेटी, औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन, ठेका मजदूर कल्याण समिति एवं एटक; साथ ही विभिन्न फैक्टरी यूनियनों- मानेसर की बेलसोनिका यूनियन, फरीदाबाद की वीनस यूनियन, हरिद्वार की भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, राजा बिस्कुट मजदूर संगठन, फ़ूड्स श्रमिक यूनियन, एवरेडी मजदूर यूनियन एवं एच एन बी एवं रुद्रपुर (सिडकुल) की इंटरार्क पंतनगर व किच्छा की यूनियन साथ ही आटोलाइन, लुकास टीवीएस, राकेट रिद्धि सिद्धि इत्यादि के साथ ही प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा हरियाणा के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर मांग की गई कि-
* तत्काल यूनियन का रजिस्ट्रेशन बहाल किया जाये।
* रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन, हरियाणा पर सख्त कार्यवाही की जाये।
* स्थायी कार्य पर स्थायी रोजगार के कानूनी प्रावधान को लागू किया जाये।
* नौकरी से बर्खास्त सभी मजदूरों को तत्काल काम पर वापस लिया जाये।
* फर्जी दस्तावेजों का बहाना बनाकर की जा रही मजदूरों की छंटनी पर रोक लगाई जाये।
* सभी लंबित सामूहिक मांग पत्रों का सम्मानजनक समाधान किया जाये।
विरोध-प्रदर्शन के दौरान गुड़गांव में लघु सचिवालय पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज जब केंद्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन और बड़ी कंपनियों की यूनियनें भी महज अपने वेतन-भत्तों पर समझौते तक सिमट कर रह गई हैं तब बेलसोनिका यूनियन ने एक नजीर पेश करते हुये मजदूरों की छंटनी के विरुद्ध एकजुटता कायम की है और नासूर बन चुकी ठेकेदारी प्रथा के विरुद्ध संघर्ष छेड़ा है; साथ ही एक ही यूनियन में स्थायी और ठेका मजदूरों को सदस्यता देने के सवाल को सामने रखा है, जो कि वर्गीय एकता का आधार है।
इसी तरह फरीदाबाद में लघु सचिवालय पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि ठेका मजदूर को सदस्यता देने पर यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द करना न सिर्फ ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 का खुला उल्लंघन है अपितु ठेका मजदूरों के संगठित होने के अधिकार पर भी सीधा हमला है।
हरिद्वार में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि बेलसोनिका यूनियन औद्योगिक क्षेत्र की जुझारू यूनियन है जो कि अन्य फैक्टरियों के मजदूरों के आंदोलन को भी अपना सहयोग-समर्थन देती रही है। इस यूनियन द्वारा कोरोना काल में भी अन्य प्रदेशों के मजदूरों के साथ अपना भाईचारा निभाते हुये राहत अभियान चलाये गये; इसी तरह केरल में आई आपदा में भी पीड़ितों के साथ अपनी वर्गीय एकजुटता प्रदर्शित करते हुये उनकी बढ़ चढ़ कर मदद की गई। इन्हीं वजहों से यह यूनियन बेलसोनिका प्रबंधन और सरकार की आंखों में चुभ रही है।
जबकि रुद्रपुर में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि बेलसोनिका की यूनियन मोदी सरकार द्वारा लाये गये घोर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स का लगातार विरोध कर रही है; साथ ही वह विभिन्न यूनियनों की इलाकाई स्तर की एकता और कंपनी के भीतर भी स्थायी और ठेका मजदूरों की एकता हेतु लगातार प्रयासरत है, ताकि मजदूरों की वर्गीय एकता के बल पर पूंजीपतियों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। यह यूनियन औद्योगिक क्षेत्र में नजीर बन चुकी है। इसी कारण एक राजनीतिक हमले के तहत यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है।
पंतनगर में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि बेलसोनिका प्रबंधन श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन कर ठेका श्रमिकों से मुख्य उत्पादन में काम ले रहा है; प्रबंधन फैक्टरी में स्थायी मजदूरों की व्यापक छंटनी करना चाहता है। चूंकि बेलसोनिका की यूनियन प्रबंधन के इन मंसूबों में बाधा बन रही है इसलिये प्रबंधन के इशारे पर रजिस्ट्रार ने यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया, हालांकि इससे मजदूरों के हौंसलों में कोई फर्क नहीं पड़ा है और उनका संघर्ष लगातार जारी है।
बेलसोनिका मजदूरों के समर्थन में ‘जागरूक मजदूर’ संगठन ने पर्चा जारी कर मजदूरों के बीच नोएडा में प्रचार अभियान संगठित करने का काम किया। -गुड़गांव संवाददाता
बेलसोनिका मजदूरों का संघर्ष जारी
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